भारत-पाकिस्तान के बीच घोषित ताज़ा सीजफायर के बाद कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर केंद्र सरकार से स्पष्टता की मांग की है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने रविवार (11 मई)को सरकार से पूछा कि अचानक हुए इस संघर्षविराम के पीछे की वजह क्या है और क्यों इसे संसद या राजनीतिक दलों से साझा नहीं किया गया?
राजपूत ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, “भारत-पाक के बीच सीजफायर की घोषणा की गई। लेकिन, देशवासियों के मन में सवाल है और हम भारत सरकार से जवाब चाहते हैं।” उन्होंने आगे मांग की कि सरकार को इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए, साथ ही संसद का विशेष सत्र आयोजित कर पूरी जानकारी देनी चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए पूछा कि जब अमेरिका खुद को इस सीजफायर का मध्यस्थ बता रहा है, तो क्या भारत सरकार ने द्विपक्षीय कूटनीति से पीछे हटकर तीसरे पक्ष को शामिल कर लिया है? उन्होंने यह भी पूछा, “क्या पाकिस्तान में आतंकी कैंप खत्म हो गए? क्या पहलगाम हमले के दोषियों को मारा गया?”
राजपूत ने यह दावा किया कि भारतीय सेना ने हाल ही में पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया, लेकिन सरकार को यह बताना चाहिए कि क्या सिर्फ यही 9 ही ठिकाने थे, और अगर और ठिकानों पर कार्रवाई होनी थी तो संघर्षविराम क्यों लागू किया गया?
कांग्रेस प्रवक्ता ने केंद्र सरकार को याद दिलाया कि पाकिस्तान का इतिहास हमेशा वादाखिलाफी और धोखे का रहा है। उन्होंने कहा, “जो देश आतंकियों को पनाह देता है और निर्दोष लोगों की हत्या करता है, उससे सीजफायर कैसे संभव है? भाजपा को यह समझना चाहिए था। अगर समझ नहीं आया, तो कांग्रेस से पूछ सकते थे। इंदिरा गांधी के समय में हमने पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे।”
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री पर तीखा हमला करते हुए राजपूत ने कहा कि भारत की सेना का पराक्रम लाहौर से लेकर कराची तक देखा गया है। उन्होंने कहा, “जब भारत शिंकजा कसता है तो पाकिस्तान घुटनों पर आ जाता है। आज अमेरिका की शरण में जाकर सीजफायर करा लिया है, लेकिन भारत को छेड़ोगे तो छोड़ेगा नहीं।”
सीजफायर के इस राजनीतिक और रणनीतिक घटनाक्रम ने जहां सीमाओं पर फिलहाल शांति का वातावरण रच दिया है, वहीं देश के भीतर इससे जुड़े सवालों ने सरकार को जवाबदेह ठहराने की नई चुनौती दे दी है। अब निगाहें सरकार की अगली प्रतिक्रिया और प्रस्तावित रक्षा मंत्रालय की ब्रीफिंग पर टिकी हैं।
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