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Tuesday, June 24, 2025
होमन्यूज़ अपडेटकेंद्र सीमावर्ती इलाकों में टेक्निकल और साइंटिफिक इंस्टॉलेशन की सुरक्षा बढ़ाएगा!

केंद्र सीमावर्ती इलाकों में टेक्निकल और साइंटिफिक इंस्टॉलेशन की सुरक्षा बढ़ाएगा!

केंद्रीय साइंस एवं टेक्नोलॉजी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों और साइंटिफिक एवं टेक्निकल विभागों के प्रमुखों ने भाग लिया।

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केंद्र सरकार ने सीमा सटे जम्मू और कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान और गुजरात के उत्तर-पश्चिम इलाकों में स्थित टेक्निकल और साइंटिफिक इंस्टॉलेशन की सुरक्षा को अपग्रेड करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत, श्रीनगर और लेह में स्थित महत्वपूर्ण भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) इंस्टॉलेशन की सुरक्षा को भी बढ़ाया जाएगा।

केंद्रीय साइंस एवं टेक्नोलॉजी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों और साइंटिफिक एवं टेक्निकल विभागों के प्रमुखों ने भाग लिया। इस बैठक में विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर, पंजाब, लद्दाख और भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों में रिसर्च और साइंटिफिक सुविधाओं की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की गई।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “हमारी वैज्ञानिक सुविधाएं, जैसे कि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर), डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी), भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और अर्थ साइंस से संबंधित संस्थाएं, हमारे राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है।”

केंद्रीय मंत्री ने विशेष रूप से सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम), जम्मू, सीएसआईआर-सेंट्रल साइंटिफिक इंस्टूमेंट ऑर्गेनाइजेशन (सीएसआईओ), चंडीगढ़, सीएसआईआर-केंद्रीय लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएलआरआई), जालंधर, और अन्य प्रमुख संस्थाओं के साथ श्रीनगर में आईएमडी इंस्टॉलेशन और लद्दाख के आसपास स्थित अर्थ साइंस रिसर्च स्टेशनों की सुरक्षा तंत्र की समीक्षा की।

डॉ. सिंह ने इन संस्थानों को मौजूदा सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा करने और उसे बढ़ाने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं को किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) विकसित करने और प्रसारित करने की आवश्यकता है, ताकि कर्मचारी और स्थानीय प्रशासन दोनों ही आपातकालीन परिस्थितियों में पूरी तरह से तैयार रहें।

इस कदम का उद्देश्य सीमावर्ती इलाकों में स्थित महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और टेक्निकल संस्थानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक तैयारियां करना है।

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