शरद पवार की चाल में उलझ गई कांग्रेस,ऐसे डूबी पार्टी ….

शरद पवार की चाल में उलझ गई कांग्रेस,ऐसे डूबी पार्टी ….
कांग्रेस अपनी तबाही के लिए खुद जिम्मेदार है। पार्टी से दूर हो रहे लोगों को कभी भी मनाने की कोशिश नहीं की। कांग्रेस और उसके समर्थक कह सकते हैं कि नहीं ऐसा नहीं है. लेकिन यह सच्चाई है. लगभग हर राज्यों में अपना जनाधार खो चुकी कांग्रेस न जाने कब आत्ममुग्धा से उबरेगी। न जाने कब, अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरेगी जो भारत माता की जय,जय श्रीराम  का  नारा लगा कर पार्टी को बचा सकेंगे।
आज भी कांग्रेसी नेता खुलकर बोलने से डरते हैं। रटे रटाये वही शब्द बोलते हैं जो शब्द आज के परिपेक्ष्य में कोई माने नहीं रखते।पार्टी लाइन से हटेंगे नहीं. लेकिन किसने ऐसा किया।  राहुल गांधी, प्रिंयका गांधी वाड्रा, सोनिया गांधी, नहीं, किसी ने भी पार्टी लाइन को नहीं अपनाया , बस सुविधा के अनुसार बढ़ते गए,कभी मंदिर चले गए,कभी गंगा मैया की सैर कर ली , कभी जनेऊ पहन लिया,कभी हाथ में कलवा बंधवा लिया, ये सब पाखंड सिर्फ जनता को मूर्ख बनाने के लिए।  लेकिन पब्लिक सब जानती है। इसके बावजूद कांग्रेस की गाड़ी पटरी पर नहीं चढ़ पाई।
हाल में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार के बावजूद कांग्रेस चेतने के बजाय मंथन के नाम पर खानापूर्ति की गई।राजस्थान और पंजाब में कांग्रेस आंतरिक कलह से जूझ रही है। वहीं अपने कहे जाने वाले लोग कांग्रेस को दो-चार होना पड़ रहा है। अभी हाल ही में कभी कांग्रेस में रहे महाराष्ट्र के नेता शरद पवार (एनसीपी प्रमुख ) ने एक ऐसी चाल चली की कांग्रेस सकते में आ गई।
हुआ यह की कभी कांग्रेस के टॉप नेताओं में गिने जाने वाले केरल के नेता पीसी चाको (अब एनसीपी में ) को एनसीपी ने केरल का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया है।  चाको केरल में लोकप्रिय भी हैं और उनका जनाधार भी है। पीसी चाको की ईसाई समुदाय में अच्छी खासी पकड़ है। अब यह समुदाय या चाको एनसीपी के लिए काम करेंगे और जिताएंगे। यानी की केरल में कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती उसके ही अपने खड़ा कर रहे हैं। जो कभी कांग्रेस में रह चुके हैं।
अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार से कांग्रेस उबर नहीं पाई थी कि यह आफ़ता आ गई। वहां के अनुसार अब कांग्रेस में मायूसी छाई हुई है.कई नेता पार्टी नेतृत्व से भी नाराज नजर आ रहे हैं। पर उनके पास अभी तक कोई दूसरा विकल्प नहीं था। लेकिन एनसीपी द्वारा पीसी चाको को प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने पर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं एक सामने एक विकल्प उपलब्ध हो गया है.अब चाको चाहेंगे की एनसीपी मजबूत होऔर इसके लिए कांग्रेस के नेताओं को तोड़ेंगे। केरल में पीसी चाको के जरिए एनसीपी अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इस चुनाव में एनसीपी ने एक फीसदी वोट के साथ दो सीट पर जीत हासिल की है।
कौन  हैं पीसी चाको
करेल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले पीसी चाको का जन्म केरल के कोट्टायम जिले में हुआ। चाको केरल स्टूडेंट यूनियन के जरिए राजनीति में सक्रिय हुए। सन 1980 में वह पहली बार पिरावम से केरल विधानसभा के लिए चुने गए और ई. के. नायर की सरकार में मंत्री बनाए गए। वे 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। चाको ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के आधिकारिक प्रवक्ता भी रह चुके हैं।
इतना ही नहीं , एनसीपी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय तृणमूल कांग्रेस का समर्थन किया था। राजद, झामुमो और शिवसेना भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ थी। अब कांग्रेस नेता यूपीए में शामिल दलों को शक की नजर से देखने लगे है. उन्हें लगता है की क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस को कमजोर करने में लगी हैं। हालांकि उन्हें इसका फायदा भी मिल रहा है। लगातार राज्यों में कमजोर हो रही है और क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हुई हैं या सत्ता में हैं।
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