आंबेडकर जयंती के अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जहां एक ओर आंबेडकर को नमन किया, वहीं कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला भी बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने छह दशक के शासनकाल में बाबासाहेब का नाम तक लेने से परहेज़ किया और उनके योगदान को इतिहास से मिटाने की कोशिशें कीं।
प्रधान ने कहा, “बाबासाहेब के जीवित रहते भी कांग्रेस पार्टी ने उनका बार-बार तिरस्कार किया। उनके निधन के बाद उन्हें इतिहास के पटल से मिटाने का प्रयास हुआ। लेकिन आज पूरा देश बाबा साहेब की जयंती मना रहा है, जो उनके विचारों और समर्पण की अमरता का प्रमाण है।”
उन्होंने आंबेडकर को “महान देशभक्त” और “लोकतंत्र की स्थापना के अग्रदूत” बताते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन समतामूलक और समावेशी समाज के निर्माण को समर्पित रहा। प्रधान ने यह भी कहा कि बाबासाहेब ने जो संविधान देश को दिया, वह आज भारत की लोकतांत्रिक आत्मा का आधार है।
प्रधान ने कहा, “बाबासाहेब के विराट व्यक्तित्व और विचारों से प्रेरणा लेकर भारत और उसका लोकतंत्र आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है। समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की जो परिकल्पना उन्होंने देश के सामने रखी थी, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साकार किया जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ता और सरकार आज उनके विचारों को गली-गली, गाँव-गाँव, कस्बे-कस्बे तक ले जा रही है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि “दुखद है कि इसके लिए देश को दशकों तक इंतजार करना पड़ा। कांग्रेस ने 60 वर्षों तक बाबासाहेब को वह सम्मान नहीं दिया, जिसके वह वास्तव में हकदार थे।”
प्रधान ने यह भी रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 से अंबेडकर के विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया और बाबा साहेब से जुड़े स्थलों को ‘पंचतीर्थ’ के रूप में विकसित करके उन्हें राष्ट्र की चेतना में पुनर्स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने गरीब, वंचित, शोषित, पिछड़े और महिलाओं की प्रगति को प्राथमिकता दी है, जो कि बाबासाहेब के विचारों का मूल है।
अंत में, शिक्षा मंत्री ने आंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “मैं बाबासाहेब की जयंती पर उन्हें बार-बार नमन करता हूं।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भाजपा पूरे देश में आंबेडकर जयंती को सामाजिक न्याय और समरसता के प्रतीक के रूप में मना रही है, और दलित समाज को अपने करीब लाने की रणनीति पर कार्यरत है। वहीं, कांग्रेस पर लगाए गए आरोपों से आने वाले चुनावी माहौल में राजनीतिक गर्मी और बढ़ने की संभावना है।