दिल्ली अब आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) को अपनाने वाला देश का 35वां राज्य/केंद्रशासित प्रदेश बन गया है। इस कदम से राजधानी के हजारों जरूरतमंद नागरिकों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सकेगा। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने कुल आठ समितियों का गठन किया है, जो योजना की हर परत को व्यवस्थित रूप से लागू करने में सहयोग करेंगी।
इन समितियों में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मुख्य राज्य एम्पैनलमेंट समिति की होगी, जिसकी अध्यक्षता एबी-पीएमजेएवाई के सीईओ करेंगे। यह समिति दिल्ली के निजी और सरकारी अस्पतालों के पंजीकरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई और निगरानी का जिम्मा संभालेगी।
जिला एम्पैनलमेंट समिति, जिला कार्यान्वयन समिति, और राज्य शिकायत निवारण समिति (SGRC) इस योजना के सुचारु संचालन की रीढ़ मानी जा रही हैं। जिला एम्पैनलमेंट समिति का दायित्व होगा कि वह अस्पतालों का समयबद्ध पंजीकरण सुनिश्चित करे, आवश्यक दस्तावेजों की जांच करे और फील्ड वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को पूरा करे। वहीं, जिला कार्यान्वयन समिति आयुष्मान कार्डों के वितरण, आमजन में जागरूकता फैलाने और लाभार्थियों की शिकायतों के समाधान की जिम्मेदारी निभाएगी। इन दोनों के साथ, SGRC जटिल और गंभीर शिकायतों का अंतिम समाधान देने का कार्य करेगी, ताकि किसी भी मरीज को न्याय और सुविधा से वंचित न रहना पड़े।
इसके अलावा, राज्य एंटी-फ्रॉड सेल संभावित धोखाधड़ी और सेवा के दुरुपयोग पर नजर रखेगा और नीतियों का निर्माण करेगा।राज्य दावा समीक्षा समिति (CRC) अस्वीकृत दावों की समीक्षा और ऑडिट का कार्य देखेगी। राज्य चिकित्सा समिति अस्पष्ट शल्य चिकित्सा पैकेजों की समीक्षा करेगी। और अंत में, राज्य अपीलीय प्राधिकरण सभी शिकायतों पर अंतिम निर्णय देने वाली संस्था होगी।
आयुष्मान भारत योजना देश की अब तक की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसमें 1,961 चिकित्सा प्रक्रियाएं और 27 चिकित्सा विशेषताएं शामिल हैं—जिनमें भर्ती, सर्जरी, जांच, दवाएं और देखभाल जैसी सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।
दिल्ली में इस योजना का क्रियान्वयन राजधानी के गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ा राहत पैकेज है। अब देखना यह होगा कि दिल्ली की नौकरशाही इस महत्वाकांक्षी योजना को कितनी चुस्ती और ईमानदारी से लागू कर पाती है। कागजों पर बनी समिति और धरातल पर मिलती सुविधा—इन दोनों के बीच की दूरी ही असल चुनौती है।
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