दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियों में वृद्धि हुई है। राष्ट्रपति की आदेशों के बाद, अब उपराज्यपाल को दिल्ली में किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या कानूनी निकाय के गठन की शक्तियां मिल गई हैं। इस वजह से दिल्ली की सियासत गरमाने की आशंका है।
मंगलवार (3 सितंबर) को गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इसकी जानकारी दी। यह निर्णय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 के अंतर्गत लिया गया। राष्ट्रपती से मंजूर शक्तियों के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल को अब दिल्ली महिला आयोग (DCW) और दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (DERC) जैसे किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, या आयोग के गठन का पूरा अधिकार प्राप्त होता है।
गृहमंत्रालय ने नोटिफिकेशन में कहा है, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991 (1992 के 1) की धारा 45डी के साथ, संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड (1) के अनुसरण में राष्ट्रपति निर्देश देती हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल, राष्ट्रपति के नियंत्रण के अधीन रहते हुए तथा अगले आदेश तक उक्त अधिनियम की धारा 45डी के खंड (क) के अधीन राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग किसी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी वैधानिक निकाय के गठन के लिए करेंगे। चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए, या ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी वैधानिक निकाय में किसी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति के लिए करेंगे।’’
President delegates Delhi LG the power to form and appoint members to any authority, board, commission, or statutory body under laws enacted by Parliament for Delhi: MHA pic.twitter.com/Ra9p3HfLDX
— ANI (@ANI) September 3, 2024
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केंद्र की और से किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग, या वैधानिक आयोग की नियुक्ती एवं गठन की शक्तियां पाने के बाद दिल्ली में उपराज्यपाल वीके सक्सेना की शक्तियों और जिम्मेदारी में वृद्धी हुई है। विरोधकों ने आरोप लगाना शुरू किया है की दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार को कमजोर करने के लिए केंद्र सरकार साजिश कर रहीं है।
आपको बता दें, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाती मालीवाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बीच रिश्ते ख़राब हुए है। अरविंद केजरीवाल के पिए विभव कुमार के स्वाती मालीवाल के बीच सीएम आवास में मारपीट के बाद आम आदमी पार्टी और स्वाती मालीवाल के रिश्तों में खटास आयी है, जिसके चलते स्वाती मालीवाल को महिला आयोग छोड़ना पड सकता है। ऐसे में राजनितिक विशेषज्ञों ने तर्क दिया की केंद्र सरकार स्वाती मालीवाल की महिला आयोग में बनाए रखने और इसी के जरिए आम आदमी पार्टी पर दबाव रखने के लिए ऐसे कदम उठा रही है।