प्रदर्शन के लिए सुबह 11 बजे शहापुर बस स्टैंड से शुरू हुए ‘मूलभूत हक मोर्चा’ में हजारों आदिवासी बंधु शामिल हुए, जो शासन-प्रशासन की लंबी उपेक्षा से आक्रोशित हैं। यह आंदोलन आदिवासी समाज की दशकों पुरानी मांगों को लेकर एक नया संकल्प लेता दिखा, जहां संगठन ने चेतावनी दी कि यदि शासन ने तत्काल कदम नहीं उठाए, तो संघर्ष और उग्र रूप धारण कर लेगा।
शहापुर तालुका, जो ठाणे जिले का हिस्सा है, आदिवासी बहुल क्षेत्र है। यहां कातकरी, थाकुर और अन्य जनजातियां निवास करती हैं, लेकिन कई पाड़े (टोले) आज भी अंधेरे में डूबे हैं। बिजली, सड़क, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं इन क्षेत्रों तक नहीं पहुंची हैं।
संगठन के तालुका अध्यक्ष मालु हुमणे, सचिव प्रकाश खोडका और ठाणे जिला सरचिटणीस दशरथ भालके ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमारी मांगें बार-बार शासन तक पहुंचाई गईं, लेकिन केवल आश्वासनों का सिलसिला चला। अब प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई तो आंदोलन उग्र होगा, और इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन पर होगी।”
मोर्चे के दौरान संगठन ने शासन के समक्ष 12 प्रमुख मांगें रखीं, जो आदिवासी समाज के समग्र विकास से जुड़ी हैं। इनमें वन भूमि में ढाई एकड़ जमीन गांवठाण (समुदाय भवन) के लिए तत्काल मंजूर करना, नए गांवठाणों को शहरी सुविधाएं प्रदान करना और हर पाड़े में श्मशानभूमि और सड़कें बनाना शामिल है।
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