मुंबई। महाराष्ट्र की तीन दलों वाली सरकार से आम जनता की छोड़िये उनके विधायक ही खुश नहीं हैं। सत्ताधारी दलों के वरिष्ठ नेताओं को भी इस बात का आभास है। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। क्योंकि सरकार को विधायको की नाराजगी का खामियाजा भुगतने का डर सता रहा है। इसलिए ठाकरे सरकार अब नियम बदलना चाह रही है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष पद से नाना पटोले के इस्तीफे के बाद से यह पद 7 महीनों से रिक्त है जबकि कांग्रेस अपने कोटे का यह पद जल्द से जल्द भरना चाहती है। बीते विधानमंडल के मानसून सत्र में भी कांग्रेस को उम्मीद थी कि उसे विधानसभा अध्यक्ष पद फिर से मिल जाएगा। विधानसभा चुनाव कराने को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी पत्र लिखा था। इसके बावजूद राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के नाम पर विस अध्यक्ष चुनाव टाल दिया।
सत्ताधारी तीनो दलों में ऐसे विधायको की कमी नहीं जो इस सरकार से नाराज हैं और मतदान के दौरान अपना ‘गुस्सा’ निकाल सकते हैं। इसलिए उद्धव ठाकरे सरकार चाहती है कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान की बजाय सदन में हाथ उठा कर किया जाए पर फिलहाल महाराष्ट्र विधानसभा के नियम इसकी इजाजत नहीं देते। मौजूदा नियमों के मुताबिक एक से अधिक उम्मीदवार होने पर विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान से होता है। ऐसे में सत्ताधारी दलों के विधायक क्रास वोटिंग कर सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष चुनाव हार का मतलब सरकार की बिदाई होगी। इसलिए तीनो दलों की सरकार के रणनीतिकार रिस्क लेने को तैयार नहीं है। सत्ताधारी दल के एक विधायक ने बताया कि ठाकरे सरकार विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए गुप्त मतदान का नियम बदलना चाहती है। इसके लिए विधानसभा में ही प्रस्ताव लाना होगा। सरकार इसकी तैयारी में हैं। विधानमंडल के नागपुर अधिवेशन में इस तरह का प्रस्ताव आ सकता है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराया जा सकेगा।