पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में मेडिकल कॉलेज के पास हुए MBBS छात्रा गैंगरेप मामले में नया खुलासा हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान के विपरीत, मीडिया को मिली FIR की कॉपी में कहा गया है कि यौन उत्पीड़न रात करीब 8 बजे हुआ था, जब पीड़िता अपने कॉलेज के एक मित्र के साथ बाहर गई थी, न कि रात 12.30 बजे, जैसा कि मुख्यमंत्री ने दावा किया था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले कहा था, “वह एक निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ रही थी। इसकी जिम्मेदारी किसकी है? वह रात के 12.30 बजे बाहर कैसे आ गई? निजी कॉलेजों को अपने छात्रों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें बाहर नहीं जाने देना चाहिए, यह एक जंगली इलाका है।” मुख्यमंत्री के इस बयान से भारी विवाद खड़ा हो गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री पीड़िता को शर्मिंदा करने की कोशिश कर रही हैं और अपराध की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही हैं।
एफआईआर का आधार बनी पीड़िता के पिता की शिकायत में स्पष्ट रूप से दर्ज है कि उनकी बेटी रात करीब 8 बजे कॉलेज कैंपस से बाहर निकली थी और इसी दौरान उसका गैंगरेप हुआ। यह बात साफ़ करती है की मुख्यमंत्री बॅनर्जी के दावा फर्जी है।
भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने ममता बनर्जी को झूठा बयान देने का आरोप लगाते हुए कहा, “मुख्यमंत्री झूठ बोल रही हैं। छात्रा रात 8 बजे सिर्फ खाना खरीदने बाहर गई थी। क्या पश्चिम बंगाल में अब तालिबानी शासन चल रहा है कि महिलाएं रात में बाहर नहीं निकल सकतीं?” उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री की सोच यही है, तो “क्या डॉक्टर, नर्स, या कर्मचारी रात में अस्पताल नहीं जाएंगे? क्या हर महिला को आधी रात के बाद घर में बंद रहना होगा?”
सीपीएम के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने भी ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या बंगाल में तालिबानी राज है? पहले आर.जी. कर अस्पताल मामले में भी पुलिस ने अपराधियों को बचाने की कोशिश की थी। अब मुख्यमंत्री फिर महिलाओं को ही दोष दे रही हैं।” उन्होंने कहा कि यह मानसिकता राजा राममोहन राय और ईश्वरचंद्र विद्यासागर की विचारधारा के खिलाफ है। “ममता बनर्जी हर बार महिलाओं को दोषी ठहराती हैं, चाहे वह पार्क स्ट्रीट केस हो या यह।”
दुर्गापुर की इस घटना ने पूरे राज्य में जनाक्रोश की लहर पैदा कर दी है। छात्र संगठनों और महिला अधिकार समूहों ने मुख्यमंत्री से माफी मांगने और आरोपियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की है। मुख्यमंत्री के विवादास्पद बयान ने न केवल राजनीतिक तूफान खड़ा किया है, बल्कि बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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