मध्य प्रदेश में 22 बच्चों की मौत से जुड़े कोल्डरिफ कफ सिरप मामले में तमिलनाडु सरकार ने स्रेशन फार्मास्यूटिकल्स का मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस पूरी तरह रद्द कर दिया है। यह वही कंपनी है, जिसने कथित तौर पर जहरीला कफ सिरप तैयार किया था। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार (13 अक्तूबर)को बयान जारी करते हुए कहा, “कंपनी का लाइसेंस पूरी तरह रद्द कर दिया गया है और यूनिट को बंद कर दिया गया है।”
कांचीपुरम जिले स्थित स्रेसन फार्मा के मालिक जी. रंगनाथन को पिछले हफ्ते मध्य प्रदेश की एसआईटी ने चेन्नई में गिरफ्तार किया था। जांच में पाया गया कि कंपनी ने 2022 के बाद से किसी भी तरह का औपचारिक निरीक्षण नहीं करवाया था। इस लापरवाही को देखते हुए कांचीपुरम के राज्य औषधि निरीक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।
मध्य प्रदेश ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी ने 1 अक्टूबर को तमिलनाडु सरकार को पत्र लिखकर अलर्ट किया था। इसके बाद तमिलनाडु ने जांच की और उसी बैच के सैंपल टेस्ट किए। रिपोर्ट में सामने आया कि सिरप में नॉन-फार्माकोपियल ग्रेड प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल का उपयोग किया गया था, जो डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित था। ये दोनों ही गुर्दे को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाले ज़हरीले तत्व हैं।
तमिलनाडु की प्रयोगशाला रिपोर्ट के अनुसार, सैंपल में 48.6% DEG पाया गया, यानी अनुमेय सीमा से 486 गुना अधिक। तमिलनाडु सरकार ने 1 अक्टूबर को ही कोल्डरिफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था ताकि यह किसी निजी बाजार में न पहुंचे। 3 अक्टूबर को कंपनी को स्टॉप प्रोडक्शन का आदेश दिया गया, जिसके बाद 5 अक्टूबर को सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया कि उनका लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए।
7 अक्टूबर को कंपनी मालिक जी. रंगनाथन और एनालिटिकल केमिस्ट के. महेश्वरी को नोटिस जारी किया गया था, जिनसे 10 दिन में जवाब मांगा गया था। सरकार ने यह भी बताया कि कोल्डरिफ सिरप की सप्लाई मध्य प्रदेश, ओडिशा और पुडुचेरी तक की गई थी। तमिलनाडु ने इस मामले की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और संबंधित राज्यों को भेजी।
तमिलनाडु मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (TNMSC) के जरिए दवाओं की सप्लाई होती है। सरकार ने स्पष्ट किया कि राज्य के किसी भी सरकारी अस्पताल या क्लिनिक में कोल्डरिफ सिरप का उपयोग नहीं किया गया था।
मध्य प्रदेश के शिवपुरी और उज्जैन जिलों में पिछले महीने 22 बच्चों की मौत कथित रूप से इसी दूषित कफ सिरप के सेवन के बाद हुई थी। देशभर में हड़कंप मचाने वाले इस मामले की अब जांच सीबीआई या केंद्रीय एजेंसियों को सौंपे जाने की संभावना पर भी चर्चा चल रही है। तमिलनाडु सरकार की यह कार्रवाई फार्मा सेक्टर में जवाबदेही और निगरानी की विफलता पर कड़ा संदेश मानी जा रही है।
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