अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अस्थिरता, केंद्रीय बैंकों की बढ़ती खरीद और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि इस धनतेरस पर सोने के दाम ₹1.3 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकते हैं। वहीं, 2026 की शुरुआत तक यह ₹1.5 लाख प्रति 10 ग्राम तक चढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, सोने में यह तेजी वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनावों के कारण बनी हुई है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीदों ने निवेशकों को एक बार फिर सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की ओर मोड़ा है।
विशेषज्ञों का कहना है की, “केंद्रीय बैंकों और ईटीएफ की लगातार खरीद, रिकॉर्ड दामों के बावजूद, तथा फिएट मुद्राओं (कागजी मुद्रा) पर घटते भरोसे के चलते सोने के भाव ऊंचे बने रहेंगे।”
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर अनुबंध के लिए सोने की कीमत इस सप्ताह ₹1,22,284 प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच चुकी है। सोमवार के शुरुआती कारोबार में एमसीएक्स गोल्ड दिसंबर फ्यूचर्स 1.62% बढ़कर ₹1,23,313 प्रति 10 ग्राम, जबकि एमसीएक्स सिल्वर दिसंबर फ्यूचर्स 3.44% उछलकर ₹1,51,577 प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड $4,060 प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह लगातार आठवां सप्ताह है जब सोने में बढ़त दर्ज की गई। इसी दौरान चांदी भी 1.1% बढ़कर $51 प्रति औंस के करीब पहुंच गई।
सोने में उछाल की एक प्रमुख वजह अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता व्यापारिक तनाव भी है। रविवार को चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी कि यदि नए शुल्क लगाए गए तो “प्रतिकार के कदम” उठाए जाएंगे। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने पहले चीनी सामानों पर 100% शुल्क की धमकी दी थी, ने अपने हालिया बयानों में कुछ नरमी के संकेत दिए।
कमजोर होता अमेरिकी डॉलर, घटती ब्याज दरें और वैश्विक मुद्रास्फीति का दबाव, ये सभी कारक सोने को फिर से “सुरक्षित आश्रय संपत्ति (Safe Haven Asset)” बना रहे हैं। निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में सोने की मांग और बढ़ेगी, क्योंकि ब्याज दरों में कटौती से बॉन्ड यील्ड घटेगी और निवेशक सोने जैसे वास्तविक परिसंपत्तियों की ओर रुख करेंगे।
2025 की धनतेरस पर जब भारतीय बाजारों में खरीदारी का माहौल बनेगा, तब सोना इतिहास के सबसे ऊंचे स्तरों में से एक पर होगा। अगर अंतरराष्ट्रीय रुझान ऐसे ही बने रहे, तो 2026 की शुरुआत तक ₹1.5 लाख प्रति 10 ग्राम का आंकड़ा कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत बन सकता है।
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