महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के दौरान लिए गए विभिन्न फैसलों पर अपनी टिप्पणियां दर्ज कीं। उन्होंने राज्यपाल द्वारा की गई गलतियों, विधानसभा अध्यक्ष की गलतियों और तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की इस्तीफे की जल्दबाजी को दर्ज किया। अब इस पर तरह-तरह की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिवसेना के ठाकरे ग्रुप के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की| उसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की|
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी| एकनाथ शिंदे ने कहा, हमारे लोकतंत्र में वांछित परिणाम हासिल हुआ है। अंतत: सत्य की जीत हुई। लोकतंत्र में बहुमत महत्वपूर्ण होता है। हमारे देश में संविधान, कानून और नियम हैं। इससे कोई बाहर नहीं निकल सकता। हमने कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करके बहुमत की सरकार बनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने अब हमारी सरकार पर मुहर लगा दी है।
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, कुछ लोग हमें संविधानेत्तर सरकार, अवैध सरकार बताकर खुद को संतुष्ट कर रहे थे और अपनी पीठ थपथपा रहे थे| इन लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने थप्पड़ मारा है। हमें असंवैधानिक कहने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने अप्रचलित घोषित कर दिया है। इसी बीच जब मामला सुप्रीम कोर्ट में था तो चुनाव आयोग से सवाल किया गया कि उसने इस मामले में फैसला कैसे लिया और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर टिप्पणी की है| चुनाव आयोग के पास यह अधिकार है, इसलिए उन्होंने हमें शिवसेना पार्टी के रूप में मान्यता दी और हमें पार्टी का सिंबल दिया।
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपेक्षित फैसला दिया। विधायकों की अयोग्यता के अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए थे। साथ ही राज्यपाल पर मुद्दों पर शिंदे ने कहा कि सभी जानते थे कि उस समय सरकार अल्पमत में थी| हमने संवैधानिक मामलों को देखते हुए सरकार बनाई है। उनके पास इस्तीफा देने के अलावा क्या विकल्प था? हमने यह फैसला लेते समय जनता की राय का सम्मान किया है। दरअसल, मुझे आपको यह बताने की जरूरत नहीं है कि नैतिकता किसने रखी।
यह भी पढ़ें-
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर देवेंद्र फडणवीस की पहली प्रतिक्रिया!