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Sunday, April 27, 2025
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वक्फ संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, 73 याचिकाएं दायर!

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अब तक 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। इस मुद्दे पर कई नयी याचिकाएं भी शीर्ष अदालत में दायर की गई हैं जिन्हें सूचीबद्ध किया जाना है।

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सुप्रीम कोर्ट में आज से वक्फ संशोधन कानून पर अहम सुनवाई शुरू होगी। हाल ही में केंद्र सरकार ने वक्प बिल को संसद के दोनों सदनों से पारित कराने के बाद कानूनी रूप दिया है। विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसद से पारित होकर कानून बन चुके वक़्फ़ (संशोधन) एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
करीब 73 याचिकाएं वक्फ एक्ट के खिलाफ दायर की गई हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख ओवैसी,  एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स के अरशद मदनी समेत कई लोगों ने याचिकाएं दाखिल की हैं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अब तक 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। इस मुद्दे पर कई नयी याचिकाएं भी शीर्ष अदालत में दायर की गई हैं जिन्हें सूचीबद्ध किया जाना है।
इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर कर कोई भी आदेश पारित करने से पहले मामले की सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया था। दरअसल, कविएट किसी पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।
केंद्र सरकार ने हाल में  वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद अन्य प्रमुख याचिकाकर्ता हैं।
आज, 16 अप्रैल 2025 को, सुप्रीम कोर्ट वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 70 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ दोपहर 2 बजे से इन याचिकाओं पर बहस सुन रही है।

याचिकाकर्ता: इन याचिकाओं में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्ला खान, RJD सांसद मनोज झा, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, और अन्य धार्मिक संगठन शामिल हैं।

याचिकाओं की आपत्तियाँ: याचिकाकर्ताओं का कहना है कि संशोधित कानून वक्फ संपत्तियों पर मनमाने प्रतिबंध लगाता है, मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर करता है, और वक्फ बोर्डों को प्रदान की गई सुरक्षा को समाप्त करता है, जिससे मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव होता है।

सरकारी पक्ष: केंद्र सरकार ने अदालत में एक कैविएट दाखिल किया है ताकि बिना उनकी जानकारी के कोई एकतरफा आदेश न दिया जाए। इसके अलावा, छह भाजपा-शासित राज्यों—असम, हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और महाराष्ट्र—ने संशोधन का समर्थन करते हुए अदालत में हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की हैं।

विरोध और आंदोलन: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 11 अप्रैल से “वक्फ बचाओ अभियान” शुरू किया है, जो 87 दिनों तक चलेगा। इस अभियान के तहत, वे वक्फ कानून के खिलाफ 1 करोड़ हस्ताक्षर एकत्र कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपने की योजना बना रहे हैं।Bhaskar English

कानूनी चुनौती: अधिवक्ता हरी शंकर जैन ने वक्फ अधिनियम, 1995 की वैधता को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि यह अधिनियम गैर-मुस्लिमों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और मुस्लिम समुदाय को अनुचित लाभ प्रदान करता है।

यह मामला देश में धार्मिक अधिकारों, संपत्ति के नियंत्रण और अल्पसंख्यक समुदायों की स्वायत्तता से संबंधित महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दों को उठाता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का व्यापक सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव हो सकता है।

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