आर्थिक तंगी से झुंज रहे हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुक्खु सरकार ने विधानसभा में दूध उत्पादक किसानों की बेहतरी के लिए बिजली उपभोक्ताओं पर का लादने की तैय्यारी कर ली है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने विधेयक पेश किया है, जिसके चलते राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने और दूध उत्पादक किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए यह सेस यानी उपकर लिया जाएगा।
विधानसभा में हिमाचल प्रदेश विद्युत् (शुल्क) संशोधन विधेयक, 2024 में मिल्क सेस अर्थात दूध उपकर और पर्यावरण उपकर का अंतर्भाव अलग-अलग रेट के साथ किया गया है। विधेयक के अनुसार दूध उपकर 10 पैसे प्रति यूनिट होगा। साथ ही यह विधेयक दोनों उपकरों को बढ़ाने के लिए एक बार में 50 प्रतिशत बढ़ाने की अनुमति देता है।
आप को बता दें, मोदी सरकार द्वारा 2017 में जीएसटी के लागू होने के बाद कुछ उपकरों को जीएसटी के अंदर ही समाहित किया गया था, जिनमें प्राथमिक शिक्षा, कच्चा पेट्रोलियम तेल, और रोड सेस शामिल है। ऐसे में सेस की अर्थनीती से ग्राहकों को दबोचने के दौर का अंत हुआ था।
हालांकि, उपकर सरकार द्वारा विशेष तौर पर किसी लक्ष्य को सामने रखकर उसे पूरा करने के लिए लगाया जाता है, जिस कारन यह सरकार के लिए रेवन्यू का साधन नहीं होता। उपकर, मूलकर पर लगाया हुआ अंशमात्र कर होता है। लेकीन यह उपकर उपभोक्ताओं से यह अतिरिक्त तौर पर वसूला जाता है।
गौरतलब है कि मार्च 2023 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में शराब की प्रत्येक बोतल पर 10 रुपये का दूध उपकर लगाया था। हालाँकि, उस समय शराब की बोतलों पर लगाया गया COVID सेस हटा दिया गया था। इसके अलावा शराब की बोतलों पर 2.5 रुपये का गाय सेस भी लगाया गया है।
फ़िलहाल हिमाचल प्रदेश भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अगस्त 2024 में, सीएम सुक्खू ने वित्तीय संकट का हवाला देते हुए अपने वेतन, भत्ते और अन्य लाभों को अगले दो महीनों के लिए स्थगित करने की घोषणा की थी। सरकार ने राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए औषधीय प्रयोजनों के लिए भांग के सीमित उपयोग को वैध बनाने की भी योजना बनाई है।