‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ कैसे बदल रही लोगों की जिंदगी?

उत्तर प्रदेश के वाराणसी ज़िले में ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ (PMFME) ग्रामीण युवाओं के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी है।

‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ कैसे बदल रही लोगों की जिंदगी?

How is 'Prime Minister Micro Food Industry Upgradation Scheme' changing people's lives?

उत्तर प्रदेश के वाराणसी ज़िले में ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ (PMFME) ग्रामीण युवाओं के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी है। इस योजना की मदद से छोटे स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग शुरू करने वाले स्थानीय उद्यमी न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि अपने साथ दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शुरू की गई यह योजना खासतौर पर उन किसानों और युवाओं के लिए है जो खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में कदम रखना चाहते हैं। इसके अंतर्गत अधिकतम 10 लाख रुपये तक का ऋण और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाती है। वाराणसी जैसे ज़िले में इसका सीधा असर अब ज़मीनी स्तर पर देखा जा सकता है।

वाराणसी निवासी रोहित ने बताया कि उन्होंने योजना के तहत 4.5 लाख रुपये का ऋण लेकर सरसों तेल का छोटा व्यवसाय शुरू किया। “पढ़ाई पूरी होने के बाद परिवार की ज़िम्मेदारी थी। कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। तब इस योजना की जानकारी मिली और अब मेरा खुद का बिजनेस है। इसने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी,” उन्होंने बताया।

इसी तरह, विवेक कुमार नामक एक अन्य लाभार्थी ने अपने गांव में राइस मिल शुरू की है। “गांव की आबादी करीब 10,000 है और यहां रोजगार के अवसर सीमित थे। अब हमारे मिल में 10 लोग काम कर रहे हैं। सरकार से ऋण आसानी से मिला और यह योजना ग्रामीण युवाओं के लिए वरदान है,” उन्होंने कहा।

वाराणसी उद्यान विभाग के वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक ज्योति कुमार सिंह ने बताया, “यह योजना प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि का हिस्सा है। इसका उद्देश्य है—कृषकों को सिर्फ उत्पादक नहीं, बल्कि उद्यमी बनाना। अब तक 400 से 500 लोग इस योजना के तहत पंजीकरण करा चुके हैं और हर साल 100 से 200 नए लाभार्थी जुड़ रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित किसी भी प्रकार का उद्योग लगाने के लिए वित्तीय सहायता के साथ-साथ प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।

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