बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मांग की हाल में हुई हिंसा, हत्याओं और बर्बरता के अपराधियों की जांच की जानी चाहिए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।5 अगस्त को इस्तीफा देकर भारत में शरण लेने के बाद हसीना ने पहली बार एक बयान के जरिए सार्वजनिक बयान दिया है|
अमेरिका स्थित हसीना के बेटे साजिब वाजेद जॉय ने ‘एक्स’ सोशल मीडिया पर यह बयान जारी किया है।इसमें हसीना ने लिखा कि जुलाई से बांग्लादेश में हिंसा और अराजकता के कारण कई छात्रों, शिक्षकों, पुलिसकर्मियों, पत्रकारों, उनकी अवामी लीग पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों की जान चली गई है। हिंसा के शिकार लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए नये शासन को गहन जांच कर दोषियों को सजा देनी चाहिए| वही, उन्होंने इस तबाही पर दुख जताया है|
15 अगस्त 1975 को राष्ट्रपिता और उस समय राष्ट्रपति रहे बंगबंधु शेख़ मुजीबुर रहमान की बेरहमी से हत्या की गई| मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं| उनके साथ-साथ मेरी मां बेगम फजीलतुन नेसा, मेरे तीन भाई- स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन शेख़ कमाल, स्वतंत्रता सेनानी लेफ़्टिनेंट शेख़ जमाल और शेख़ कमाल और जमाल की नवविवाहित पत्नियां सुल्ताना कमाल और रोज़ी जमाल की भी निर्मम हत्या कर दी गई थी| उन्होंने लिखा कि उनके सबसे छोटे भाई शेख़ रसेल उस समय केवल 10 साल के थे और उनकी भी हत्या कर दी गई| इस दिन शहीद होने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की|
जुलाई से लेकर अब तक आंदोलनों के नाम पर तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा की घटनाओं में हमारे देश के कई निर्दोष नागरिकों की जान चली गई है. छात्र, शिक्षर, गर्भवती महिलाएं, पुलिस अधिकारी, पत्रकार, कार्यकर्ता, नेता, आवामी लीग के कार्यकर्ता आतंकवादी हमलों का शिकार हुए और अपनी जान गंवा बैठे| मैं उनके प्रति दुख व्यक्त करती हूं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं|
शेख़ हसीना ने कहा कि मेरे जैसे अपने प्यारे लोगों को खोने के दर्द के साथ जीने वालों के प्रति उन्हें गहरी संवेदना है| उन्होंने लिखा, “मैं इन जघन्य हत्याओं और तोड़फोड़ की घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार लोगों की पहचान करने और उनपर क़ानूनी कार्रवाई के लिए गहन जांच की मांग करती हूं|”
शेख़ हसीना ने बांग्लादेशवासियों को संबोधित करते हुए लिखा कि 15 अगस्त को धनमंडी इलाके के जिस घर में ये जघन्य कत्लेआम हुआ उस घर को उन्होंने और उनकी बहन रेहाना ने बांग्लादेश के लोगों के लिए समर्पित कर दिया| ये घर अब एक म्यूज़ियम में तब्दील हो चुका है| बांग्लादेश के आम लोग और देश-विदेश के ख़ास लोगों ने इस घर को देखा है, जहां आज़ादी के संघर्ष की यादें अभी भी हैं| यह संग्रहालय स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है|
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