संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र से पहले भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में फिलीपींस की विदेश मंत्री थेरेसा लाजारो से मुलाकात की। यह बैठक ऐसे समय हुई है जब हाल ही में फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर भारत की राजकीय यात्रा पर आए थे।
जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र की शुरुआत में फिलीपींस की विदेश मंत्री थेरेसा लाजारो से मिलकर खुशी हुई। हमने राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर की हालिया भारत यात्रा के दौरान हुई चर्चा को आगे बढ़ाया। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हमारे सहयोग पर भी चर्चा की।”
Pleased to meet Secretary of Foreign Affairs @SecLazaro of Philippines at the start of #UNGA80 in New York.
We followed up on the recent State Visit of President @bongbongmarcos to India. Also discussed our cooperation in the UN and the Indo-Pacific region.
🇮🇳 🇵🇭 pic.twitter.com/jpfBJUFL5C
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 21, 2025
वहीं, लाजारो ने अपनी पोस्ट में कहा कि यह मुलाकात दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने और राजनीतिक, रक्षा, सुरक्षा व समुद्री क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दोहराती है।
अगस्त की शुरुआत में राष्ट्रपति मार्कोस जूनियर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर पांच दिवसीय भारत यात्रा पर आए थे। उस दौरान नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में संयुक्त प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और फिलीपींस को “पसंद से मित्र और नियति से साझेदार” बताया था। मोदी ने यह भी रेखांकित किया था कि भले ही कूटनीतिक संबंध हाल के दशकों में बने हों, लेकिन दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंध प्राचीन काल से ही गहरे हैं। उन्होंने फिलीपींस की रामायण ‘महाराडिया लावना’ का उल्लेख करते हुए इसे सदियों पुराने रिश्तों का जीवंत प्रमाण बताया था।
फिलीपींस के राष्ट्रपति ने भारत के रक्षा उद्योग की क्षमताओं की सराहना की थी और कहा था कि वह अपने देश के रक्षा आधुनिकीकरण कार्यक्रम में भारत को अहम साझेदार मानते हैं। खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक मुक्त और खुले माहौल के लिए भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता स्पष्ट की गई थी। ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना को दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का बड़ा उदाहरण माना जा रहा है।
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