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Wednesday, December 31, 2025
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झारखंड: विभागों में करोड़ के भ्रष्टाचार को लेकर सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही सरकार को घेरा!

झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में 100 करोड़ रूपये के भ्रष्टाचार को लेकर बुधवार को विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही सरकार को घेर लिया।

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झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर बुधवार को विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही सरकार को घेर लिया। बता दें की प्रदेश में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में 100 करोड़ के भ्रष्टाचार पर विपक्ष के विधायकों ने भी सत्ता पक्ष के विधायकों के सुर में सुर मिलाया। मंत्री के जवाब पर विधायकों ने असंतोष जताया। इस दौरान करीब आधे घंटे तक सदन में बहस होती रही।

प्रश्न काल के दौरान कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने विभाग के स्वर्णरेखा प्रमंडल में फर्जी खाते खोलकर करोड़ों की निकासी का मामला उठाया। उन्होंने वित्त विभाग की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में कई अभियंताओं की संलिप्तता उजागर हुई है, लेकिन अब तक केवल रोकड़पाल संतोष कुमार के खिलाफ ही कार्रवाई हुई है।

इस सवाल पर प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने आश्वासन दिया कि मामले की विभागीय जांच कर सात दिनों के भीतर सदन को अवगत कराया जाएगा। झामुमो के स्टीफन मरांडी और कांग्रेस के रामेश्वर उरांव ने मंत्री के जवाब पर असंतोष जताते हुए कहा कि कार्रवाई के बजाय मामले को टालने की कोशिश हो रही है।

स्टीफन मरांडी ने आरोप लगाया कि कार्यपालक अभियंता को बचाने की कोशिश की जा रही है, जबकि रामेश्वर उरांव ने कहा कि किसी तरह कार्रवाई को अधर में लटका देने की चाल चली जा रही है। झामुमो विधायक मथुरा महतो और हेमलाल मुर्मू ने कहा कि विभागीय जांच लीपापोती के अलावा कुछ नहीं होती। जब वित्त विभाग की रिपोर्ट में कई अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है, तो कार्रवाई केवल रोकड़पाल संतोष कुमार पर ही क्यों की जा रही है?

उन्होंने मांग की कि मुख्य अभियंता प्रभात कुमार सिंह और कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर समेत अन्य अभियंताओं के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि जब सत्ता पक्ष के विधायकों को ही दोषियों पर कार्रवाई कराने में इतनी मशक्कत करनी पड़ रही है, तो विपक्ष के मुद्दों पर सरकार की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

प्रभारी मंत्री के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने सदन में ही धरने पर बैठने की चेतावनी दी। आधे घंटे तक चली बहस के बाद प्रभारी मंत्री ने आश्वासन दिया कि सात दिनों के भीतर इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद स्पीकर ने इस प्रश्न को सात दिन के लिए स्थगित कर दिया। अब इस मुद्दे पर अगली चर्चा सात दिन बाद होगी।

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