कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने भारतीय राजनीति में एक नए विमर्श की शुरुआत कर दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसे राजनीतिक दल की जरूरत बताई है, जो जाति, धर्म और भाषा जैसे पारंपरिक भावनात्मक मुद्दों से ऊपर उठकर शहरी भारत के असली मुद्दों—जैसे जीवन की सुगमता, बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और सार्वजनिक सेवाओं—पर ध्यान केंद्रित करे। उनके इस बयान को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं कि वे नई पार्टी के गठन की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
कार्ति चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “मेरी राय में एक नया राजनीतिक दल (भारत में) जो केवल शहरी मुद्दों—जीवन की सुगमता, बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और सार्वजनिक सेवा—पर केंद्रित हो; जो भावनात्मक मुद्दों (धर्म, जाति और भाषा) से रहित हो, उसे उचित स्तर पर स्वीकृति मिलेगी। (चूंकि कोई भी स्थापित राजनीतिक दल इन मुद्दों को गंभीरता से संबोधित नहीं करता है या इसे अपने एजेंडे में सबसे आगे नहीं रखता है।)”
In my opinion a new political party (in India) purely focusing on urban issues – ease of living, quality of infrastructure & public services- devoid of emotive issues (religion, caste & language) will have a fair level of acceptance. (Since none of the establishment political…
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) June 27, 2025
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को कई शहरी मुद्दों पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, और देशभर में शहरीकरण तेज़ी से बढ़ने के बावजूद शहरी सुविधाओं की स्थिति जस की तस बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर, धर्म, जाति और भाषा को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी लगातार सुर्खियों में रही है—चाहे वह तमिलनाडु और महाराष्ट्र में भाषा विवाद हो या चुनावों में धार्मिक ध्रुवीकरण।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में तेजी से बढ़ती शहरी आबादी अब पारंपरिक राजनीति से अलग सोचने लगी है। ट्रैफिक जाम, गड्ढों वाली सड़कें, कचरे की समस्या, जलसंकट और सार्वजनिक परिवहन जैसी दिक्कतें आम लोगों को रोज़ाना परेशान कर रही हैं। कार्ति का यह बयान इसी नाराज़गी का संकेत हो सकता है।
हालांकि, अभी तक किसी विपक्षी दल या कांग्रेस पार्टी की ओर से कार्ति के इस सुझाव पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इसे “आवश्यक और समयानुकूल पहल” बताया है, तो कुछ ने इसे “राजनीतिक रूप से अव्यावहारिक” करार दिया है।
गौरतलब है कि कार्ति चिदंबरम तमिलनाडु के शिवगंगा लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं और अक्सर अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। उनका यह ताज़ा बयान संकेत देता है कि वे खुद को शहरी भारत के लिए एक नए राजनीतिक विकल्प के रूप में पेश करने की तैयारी कर रहे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वाकई कोई नया राजनीतिक दल अस्तित्व में आता है, या फिर यह विचार महज़ सोशल मीडिया तक ही सीमित रह जाता है। लेकिन इतना तय है कि कार्ति के बयान से शहरी राजनीति की एक नई बहस ज़रूर छिड़ चुकी है।
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