आरजी कर अस्पताल बलात्कार और हत्या मामले ने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया था। इस मामले में कोर्ट द्वारा संजय रॉय को दोषी पाए जाने के बाद उन्हें कड़ी सजा देने की मांग की जा रही है| आंदोलन जीवन के सभी क्षेत्रों, विशेषकर पश्चिम बंगाल में, रेजिडेंट डॉक्टरों, वरिष्ठ डॉक्टरों, नागरिक संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आम नागरिकों द्वारा किया गया।कुछ साल पहले, दिल्ली के ‘निर्भया’ मामले की तर्ज पर कोलकाता की एक लड़की को ‘अभया’ कहा गया था।
इस घटना के विरोध में देश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए| पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर कई दिनों तक हड़ताल पर रहे| उनकी मुख्य मांगें पीड़िता के लिए न्याय और सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाना थीं। प्रदर्शनकारियों की मांग को स्वीकार करते हुए मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया गया| तदनुसार, मुकदमा शुरू होने के लगभग दो महीने बाद और अपराध होने के 162 दिन बाद मामले का फैसला किया गया।
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस नेता सौगत रॉय ने मांग की कि संजय रॉय को मौत की सजा दी जानी चाहिए| भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी इस नतीजे का स्वागत किया| साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि इस मामले में ‘व्यापक साजिश’ को नाकाम किया जाना चाहिए| फैसले के दिन कोर्ट परिसर में भारी भीड़ थी|
रॉय के खिलाफ नारे लगाए जा रहे थे और मांग की जा रही थी कि उन्हें मौत की सज़ा दी जाए| वहीं इस मामले में लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी चेतावनी दी है कि जब तक सभी दोषियों को गिरफ्तार कर सजा नहीं दी जाती तब तक वे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे|
फैसले को चुनौती नहीं दूंगी: इस बीच आरोपी संजय रॉय की बहन ने मीडिया से कहा कि वह फैसले को चुनौती नहीं देंगी| उन्होंने कहा, ”हम इससे स्तब्ध हैं।“अगर उसने कोई अपराध किया है, तो उसे उचित सजा मिलनी चाहिए। कोर्ट के आदेश को चुनौती देने का हमारा कोई इरादा नहीं है|
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