दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर के फैसले के खिलाफ वाराणसी में वकीलों ने शनिवार को जोरदार प्रदर्शन किया। वकीलों ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद केवल स्थानांतरण करना न्यायपालिका की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।
वाराणसी सेंट्रल बार के अध्यक्ष मंगलेश दुबे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी “जीरो टॉलरेंस” नीति दिखाने का अवसर था, लेकिन जस्टिस वर्मा के मामले में ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “हम भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और इसलिए आज काम नहीं होगा।”
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस वर्मा के आवास से कथित रूप से अधजली नकदी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनका स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट करने की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र सरकार ने शुक्रवार को मंजूरी दी।
न्याय विभाग (विधि एवं न्याय मंत्रालय) द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया, “राष्ट्रपति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद, दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है।” इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया कि शनिवार (29 मार्च)को कार्यकारिणी और बार एसोसिएशन के पूर्व पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
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इस बीच, इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों का कार्य बहिष्कार लगातार चौथे दिन जारी रहा, जिससे न्यायालय का कामकाज प्रभावित हुआ। वकीलों ने न्यायालय में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।