जेएनयू में ईरान, फिलिस्तीन और लेबनान के दूतों के व्याख्यान रद्द !

ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही के निर्धारित व्याख्यान को विश्वविद्यालय ने अचानक स्थगित कर दिया, जबकि लेबनान और फिलिस्तीन के राजदूतों के व्याख्यान रद्द कर दिए गए हैं।

जेएनयू में ईरान, फिलिस्तीन और लेबनान के दूतों के व्याख्यान रद्द !

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दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भारत में ईरान, फिलिस्तीन और लेबनान के राजदूतों द्वारा एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। पश्चिम एशिया में इसराइल, ईरान, फिलिस्तीन और लेबनान देशों में इस समय युद्ध चल रहा है। इसका असर अब जेएनयू यूनिवर्सिटी में देखने को मिल रहा है|ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही के निर्धारित व्याख्यान को विश्वविद्यालय ने अचानक स्थगित कर दिया, जबकि लेबनान और फिलिस्तीन के राजदूतों के व्याख्यान रद्द कर दिए गए हैं।

“ईरान पश्चिम एशिया के मामलों को कैसे देखता है?” इराज इलाही छात्रों का मार्गदर्शन करने वाले थे। गुरुवार (24 अक्टूबर) सुबह 11 बजे होने वाला लेक्चर यूनिवर्सिटी ने सुबह 8 बजे अचानक रद्द कर दिया। इसके अलावा, 7 नवंबर को फिलिस्तीन के राजदूत अदनान अबू अल-हैजा और लेबनान के राजदूत डॉ. 14 नवंबर को रबी नरश का व्याख्यान भी रद्द कर दिया गया।

उनके व्याख्यानों का विषय ‘फिलिस्तीन में हिंसा’ और ‘लेबनान में स्थिति’ था। कार्यक्रम का आयोजन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पश्चिम एशिया अध्ययन केंद्र द्वारा किया गया था। इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे में खबर दी है| इस कार्यक्रम को लेकर जेएनयू यूनिवर्सिटी के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ के वरिष्ठ सदस्यों ने चिंता व्यक्त की|

बताया गया है कि ऐसे व्याख्यानों से आंदोलन और प्रदर्शन की आशंका के चलते कार्यक्रम रद्द किया गया है|जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के संस्थापक अमिताभ मट्टू ने कहा, “हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां भावनाओं को आसानी से ठेस पहुंचाई जा सकती है।”

जेएनयू यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर वेस्ट एशिया स्टडीज की प्रमुख समीना हमीद ने कहा, ‘ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही का व्याख्यान अंतिम समय में निर्धारित था। इसलिए विश्वविद्यालय के पास उनके प्रोटोकॉल का पालन करने का समय नहीं था। तो डॉ. इराज इलाही का व्याख्यान स्थगित कर दिया गया है|

यूनिवर्सिटी और दूतावास के बीच विवाद हो गया है| समीना हमीद का यह भी मानना है कि भारत में ईरान, लेबनान और फिलिस्तीन के राजदूत समय-समय पर विश्वविद्यालय के छात्रों को सलाह देते रहे हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे।

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