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Monday, November 25, 2024
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राहुल, ममता,नीतीश की 2024 की तैयारी, पीएम चेहरे पर किसकी लॉटरी?  

विपक्ष राहुल गांधी दोबारा अमेठी से चुनाव लड़ना चाहता है ,वहीं नीतीश कुमार के प्रदेश के फूलपुर लड़ने की संभावना जताई जा रही है। जबकि ममता समर्थक उनके समर्थन में पोस्टर लगा रहे हैं।

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राहुल गांधी ने मोदी चोर मानहानि केस में राहत मिलते ही चालीस दिन बाद शुक्रवार को लालू यादव से मुलाक़ात की। यह मुलाक़ात दिल्ली में लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा के आवास पर हुई। इस मुलाक़ात के कई मायने निकाले जा रहे है। वहीं, शनिवार को कोलकाता में लगाए गए पोस्टर की जोर शोर से चर्चा है। इस पोस्टर में लिखा गया है कि “2024 अबकी बार इंडिया की सरकार” साथ ही इस पोस्टर में ममता बनर्जी की तस्वीर लगी हुई है।

सबसे बड़ी बात यह है कि, यह पोस्टर बंगाली के बजाय हिंदी भाषा में लिखा हुआ है। इसके अलावा 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट है, जबकि उत्तर प्रदेश के फूलपुर से नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। अब सवाल है कि इन घटनाओं का 2024 के लोकसभा से क्या कनेक्शन है।

बिना लाग लपेट के मुद्दे पर आते है। पहले हम राहुल गांधी को मोदी सरनेम मानहानि मामले में मिली राहत पर बात करते हैं। रहुल गांधी को इस केस से शुरुआती दौर में राहत तो मिल गई है, लेकिन, राहुल गांधी आरोप मुक्त नहीं हुए हैं, हालांकि, उनके लोकसभा की सदस्यता बहाल होने की संभावना है। लेकिन ऐसा कब होगा? यह अभी देखना होगा। दूसरी बात यह कि राहुल गांधी ने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद की। लालू यादव ने विपक्षी दलों की पटना में पहली बैठक के बाद राहुल गांधी को शादी करने की सलाह दी थी। शुक्रवार को राहुल गांधी लालू यादव से गले मिलते देखे गए। इसका कारण सुप्रीम कोर्ट का फैसला माना जा रहा है।

दरअसल, विपक्ष के इंडिया के 26 दल ऐसे हैं जो 2024 का लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी नेतृत्व में लड़ना चाहता है। ऐसे में विपक्ष की ओर से पीएम उम्मीदवारी के तौर पर राहुल का भी  नाम अब सामने आ सकता है। क्योंकि, इससे पहले मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि कांग्रेस न तो पीएम उम्मीदवारी की इच्छुक है और न ही सत्ता के लिए। लेकिन खड़गे ने यह बात तब कही थी जब राहुल गांधी की लोकसभा रद्द थी। अब अगर राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल होती है तो विपक्ष की ओर से पीएम उम्मीदवारों की लिस्ट में राहुल गांधी का भी नाम होगा। वैसे  कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार घोषित कर चुनाव लड़ चुकी है।

2019 में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे,उन्हें बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने हराया था। अब एक बार फिर विपक्ष चाहता है कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़े। विपक्ष का मानना है कि मोदी सरकार के दस साल के कार्यकाल से जनता में बीजेपी विरोधी लहर है। जिसे विपक्ष भुनाना चाहता है। बताता जा रहा है कि विपक्ष बीजेपी के गढ़ में आक्रामक होकर उतरना चाहता है। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी भी दक्षिण के बजाय उत्तर भारत में एक बार फिर पैठ बनाना चाहते हैं। लेकिन क्या राहुल गांधी द्वारा उत्तर भारत पर 2021 में दिया गया बयान भूल गए हैं लोग।

दरअसल ,केरल में  23 फरवरी 2021 में राहुल गांधी ने त्रिवेंद्रम में कहा था कि  “मै 15 साल तक उत्तर भारत में सांसद था। मुझे एक अलग तरह की राजनीति की आदत पड़ गई थी। मेरे लिए केरल आना बेहद नया था। क्योंकि मुझे लगा कि यहां के लोगों में मुद्दों में दिलचस्पी है।
और  जमीनी स्तर मुद्दों को जानने  वाले हैं। एक तरह से राहुल गांधी ने उत्तर भारतीय लोगों के सूझबूझ पर सवाल खड़ा किया था। जिसकी बीजेपी नेताओं ने आलोचना भी की थी। तो क्या  उत्तर भारत के लोग राहुल गांधी को एक बार फिर समर्थन करेंगे ?

दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट एक बार फिर विपक्ष की प्रयोगशाला बनने जा रही है। बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव ने इस लोकसभा सीट से बिहार के मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार को चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने गुप्त रूप से एक सर्वे कराया है। बता दें कि इस सीट से बसपा के संस्थापक कांशीराम से लेकर जवाहर लाल नेहरू तक ने चुनाव लड़ा है।   हाल ही में मारा गया माफिया अतीक अहमद भी किस्मत आजमा चुका है।

बताया जा रहा है कि फूलपुर, जौनपुर सहित कई जिलों से नीतीश कुमार को चुनाव लड़ाने की खबर है। बता दें कि यूपी के 25 जिलों में कुर्मी समाज का प्रभाव है, जबकि 16 जिले ऐसे हैं जहां 12 फीसदी कुर्मी समाज है। नीतीश कुमार कुर्मी समाज से आते हैं। इसलिए पीएम मोदी को घेरने के लिए विपक्ष यह प्रपंच रच रहा है। इससे पहले भी ऐसी खबरें आ चुकी हैं। देखना होगा कि विपक्ष इस चालबाजी में कितना कामयाब होता है।

हालांकि, नीतीश कुमार जाति समीकरण के आधार पर फूलपुर से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। लेकिन उनकी पार्टी का यूपी में कोई वजूद नहीं है। वहीं, कांग्रेस भी यूपी में दम तोड़ चुकी है। रायबरेली से अभी तय नहीं हुआ है कि इस सीट पर प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी या सोनिया गांधी।
वहीं, खड़गे द्वारा कांग्रेस के पीएम उम्मीदवारी से इंकार के बाद टीएमसी ममता बनर्जी को  विपक्ष का पीएम उम्मीदवार बनाने की मांग तेज कर दी है। शनिवार को कोलकाता में कई स्थानों पर ममता बनर्जी की तस्वीर के साथ लगे “अबकी बार इंडिया की सरकार” पोस्टर इसी का नतीजा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसे हिंदी भाषा में लिखा गया है। एक ओर जहां राहुल गांधी द्वारा दक्षिण छोड़कर एक बार फिर उत्तर भारत का रुख करने की खबर है। तो दूसरी ओर ममता बनर्जी का हिंदी प्यार बताता है कि यह लड़ाई पीएम उम्मीदवारी को लेकर है। जिसमें नीतीश कुमार भी शामिल है। नीतीश कुमार को अखिलेश यादव समर्थन करते रहे हैं।

तो क्या राहुल गांधी एक फिर पीएम उम्मीदवार के तौर पर सामने आएंगे? क्या ममता बनर्जी के सपनों पर ब्रेक लगे है ? जबकि टीएमसी बार बार उन्हें पीएम उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर रही है। वहीं क्या नीतीश कुमार बिहार छोड़ यूपी के चुनावी अखाड़े में उतरेंगे ? यह बड़ा सवाल है। क्योंकि अब नीतीश कुमार का बिहार में भी वजूद खतरे में है। तो इस पर सभी की निगाहें लगी हुई।

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