ब्रिटेन की राजधानी लंदन शनिवार (13 सितंबर)को एक ऐतिहासिक प्रदर्शन की गवाह बनी, जब विवादित आप्रवासन विरोधी कार्यकर्ता टॉमी रॉबिन्सन के नेतृत्व में ‘यूनाइट द किंगडम’ मार्च में करीब 1.10 लाख लोग शामिल हुए। यह संख्या पुलिस के मुताबिक दर्ज की गई, हालांकि हवाई तस्वीरों और आयोजकों का दावा है कि वास्तविक भीड़ इससे कहीं अधिक थी।
मार्च के दौरान रॉबिन्सन ने सोशल मीडिया पर लिखा, “आज लाखों लोग ‘यूनाइट द किंगडम’ फ़्री स्पीच फ़ेस्टिवल में शामिल होने के लिए आ रहे हैं!!!! कोई भी मुख्यधारा का मीडिया जो इसके अलावा कुछ भी छापता है, वह झूठ बोल रहा है।” उनका दावा था कि सड़कों पर लाखों लोग उतरे और यह अब तक का सबसे बड़ा जनसमर्थन है।
The guardian reported "110k" at our London rally today.
Yet, literally had their own helicopter showing the millions of patriots 🤡
Legacy media proving again they'll just lie to your face for their own agenda.
This is why nobody trusts them.
We are the media now. pic.twitter.com/s0yOh2NEfe
— Tommy Robinson 🇬🇧 (@TRobinsonNewEra) September 13, 2025
प्रदर्शन में प्रतिभागी यूनियन जैक और इंग्लैंड के सेंट जॉर्ज क्रॉस झंडे लहराते दिखे। कुछ लोग अमेरिकी और इज़रायली झंडे भी लेकर आए थे। वहीं, कई प्रदर्शनकारी “Make America Great Again”टोपी पहने हुए नज़र आए, जो पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जुड़ी पहचान है। भीड़ में “Send Them Home” जैसे नारे लगे और प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के खिलाफ तख्तियां भी दिखीं।
पुलिस बल की तैनाती और झड़पें
पुलिस ने बताया कि कई मौकों पर प्रदर्शनकारियों और “Stand Up to Racism” नामक जवाबी रैली (जिसमें लगभग 5,000 लोग शामिल थे) के बीच टकराव की स्थिति बनी। कई प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़ने और ‘स्टेराइल ज़ोन’ में घुसने की कोशिश की। झड़पों में पुलिसकर्मियों पर हमले भी हुए, जिसके चलते अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा। कुल 1,600 से अधिक पुलिसकर्मी पूरे लंदन में तैनात रहे, जिनमें 500 बाहरी बल से लाए गए। घुड़सवार दस्ते और सुरक्षात्मक गियर से लैस जवानों को भी मैदान में उतारा गया।
पृष्ठभूमि:
टॉनी रॉबिन्सन एक पत्रकार हैं जो लंबे समय से ब्रिटेन सरकार की गलतियों को उजागर करते आए हैं। उनके समर्थकों में अमेरिकी अरबपति एलन मस्क जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। हालांकि, उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि के चलते ब्रिटेन की प्रमुख एंटी-इमिग्रेशन पार्टी रिफॉर्म UK उनसे दूरी बनाए हुए है।
रैली में समर्थक भावना व्यक्त करते हुए भावना व्यक्त कर रहें है, “हम अपना देश वापस चाहते हैं, हम अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पुनः पटरी पर लाना चाहते हैं। उन्हें इस देश में अवैध प्रवासन को रोकना होगा। हमें टॉमी पर विश्वास है।”
ब्रिटेन में बड़ी संख्या में आव्रजन का मुद्दा छाया हुआ है, जो देश की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था की चिंताओं को भी दबा रहा है। ब्रिटेन में शरण के लिए रिकॉर्ड संख्या में दावे किए गए हैं, इस साल अब तक 28,000 से ज़्यादा प्रवासी छोटी नावों के जरिए इंग्लिश खाड़ी पार कर पहुँच चुके हैं, जिससे आप्रवासन का मुद्दा राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गया है। ऐसे में ब्रिटन के मूल नागरिकों में आप्रवासियों को लेकर भय बना हुआ है। बड़ी संख्या में आप्रवासी ब्रिटेन की मूल संस्कृति के लिए केवल घातक सिद्ध नहीं हो रहे, बल्की अपराध भी बढ़ चुके है।
सिर्फ एक हफ्ते पहले, सरकार द्वारा प्रतिबंधित पैलेस्टाइन एक्शन ग्रुप के समर्थन में हुए प्रदर्शन में पुलिस ने करीब 900 लोगों को गिरफ्तार किया था। दौरान लंदन में हुआ विशाल प्रदर्शन दिखाता है कि ब्रिटेन में राष्ट्रीय पहचान, आप्रवासन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस पहले से कहीं अधिक तीखी हो चुकी है और आगे यह नया मोड़ ले सकती है।
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