कुछ दिन पहले ही एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार समेत करीब 40 विधायकों ने शिंदे-फडणवीस सरकार को अपना समर्थन दिया है। कुछ राजनीतिक नेता आरोप लगा रहे हैं कि अजित पवार की सत्ता में भागीदारी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की एक राजनीतिक चाल है। इस पर खुद शरद पवार ने सफाई दी है |शरद पवार ने स्टैंड ले लिया है कि चाहे कुछ भी हो जाए वो भाजपा के साथ नहीं जाएंगे| इन सभी घटनाक्रमों के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है|
क्या भाजपा के साथ गठबंधन का फैसला शरद पवार की सहमति के बिना लिया गया था? यह सवाल पूछे जाने पर अजित पवार ने कहा, ”लोकतंत्र में बहुमत का सम्मान किया जाना चाहिए|यही लोकतंत्र का सच्चा रास्ता है| इसलिए हम सभी ने बहुमत से यह निर्णय लिया है।” अजित पवार ने यह प्रतिक्रिया मुंबई में मीडिया से बातचीत के दौरान दी| इस बीच उन्होंने कोल्हापुर में शरद पवार की बैठक पर भी टिप्पणी की|
“यह मत सोचिए कि हम अपना समर्थन दिखा रहे हैं: “शरद पवार को कहाँ बैठक करनी चाहिए? ये उनका अधिकार है| हम वही करने का प्रयास करते हैं जो हमें सही लगता है। हम कई वर्षों से सरकार में काम करने वाले कार्यकर्ता हैं। हम ऐसे कार्यकर्ता हैं जिनका प्रशासन पर नियंत्रण है।’ किसी से अकेले में पूछें| कृपया यह न सोचें कि हम अपना समर्थन दिखा रहे हैं। अंततः शक्ति का प्रयोग लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है।
अजित पवार ने आगे कहा कि 2019 में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) ने अपनी-अपनी विचारधारा को किनारे रख दिया और शिवसेना के साथ गठबंधन किया| शिवसेना और भाजपा 25 साल तक सहयोगी रहीं| 25 साल तक चलने वाली बीजेपी के साथ गठबंधन ढाई साल तक चल सकता है| फिर अगले दौर में गठबंधन में बाकी बचे दूसरे सहयोगी (भाजपा) को भी अपने कब्जे में ले लेना चाहिए| इसलिए यह दिखाने का कोई कारण नहीं है कि हमने शरद पवार से अलग रुख अपनाया है|
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