मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में वर्षा बंगले में आयोजित एक समारोह में ठाकरे समूह के विधायक रवींद्र वायकर शिंदे समूह में शामिल हुए। जोगेश्वरी प्लॉट घोटाला मामले में रवींद्र वायकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रडार पर थे। हालांकि, अब जब वह सत्तारूढ़ शिंदे समूह में शामिल हो गए हैं, तो संभावना है कि ईडी का उन्हें समर्थन मिलना बंद हो जाएगा। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने सबसे पहले रवींद्र वायकर पर आरोप लगाए| किरीट सोमैया ने जोगेश्वरी भूमि घोटाला मामले को सामने लाया| उसे आगे बढ़ाया और रवींद्र वायकर को जांच के घेरे में ले लिया। लेकिन अब यह लगभग साफ हो गया है कि शिंदे ग्रुप में शामिल होने से रवींद्र वायकर ईडी से मुक्त हो जाएंगे|
इसी पृष्ठभूमि में किरीट सोमैया ने सोमवार को मुंबई में मीडिया से बातचीत की| इस दौरान उनसे रवींद्र वायकर पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और शिंदे ग्रुप में उनकी एंट्री के बारे में सवाल किया गया| तब किरीट सोमैया ने कहा कि मैंने रवींद्र वायकर के भ्रष्टाचार मामले में अपना काम पूरा कर लिया है। अब आगे की जिम्मेदारी जांच तंत्र और न्यायपालिका की है और उसने इस मामले से अपने हाथ खींच लिए हैं|अब से कोई भी भ्रष्टाचार करेगा तो उसे माफ नहीं किया जाएगा। किरीट सोमैया ने यह भी कहा कि उनका सवाल यह है कि भ्रष्टाचार के जो मामले अदालत में हैं उनका क्या किया जाए।
रवीन्द्र वायकर शिंदे गुट में क्यों शामिल हुए?: वर्षा बंगले में आयोजित समारोह में रवीन्द्र वायकर ने शिंदे गुट में शामिल होने के पीछे अपनी स्थिति बताई। उन्होंने कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में आरे कॉलोनी में सड़क कार्य के लिए 178 करोड़ के फंड की जरूरत है| वहां के नागरिक को न्याय नहीं मिला है|
इसके अलावा गोरेगांव में रॉयल पाम में पानी की समस्या भी रहेगी और विभाग में अन्य विकास कार्यों के लिए भी फंड की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि धन प्राप्त किए बिना स्थानीय मतदाताओं को न्याय नहीं दिया जा सकता, इसलिए वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए क्योंकि सत्तारूढ़ दल में शामिल हुए बिना उनकी समस्याओं का समाधान करना संभव नहीं था।
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