30 C
Mumbai
Tuesday, October 22, 2024
होमक्राईमनामामहाराष्ट्र: शहरी नक्सलवाद पर नकेल कसने के लिए सरकार का नया विधेयक।

महाराष्ट्र: शहरी नक्सलवाद पर नकेल कसने के लिए सरकार का नया विधेयक।

गैरकानूनी संगठन के किसी भी गैरकानूनी कार्य को करने का प्रयास करने वालों या प्रयास करने के लिए सात साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

Google News Follow

Related

महाराष्ट्र की विधानसभा में अगले चुनाव से पहले शहरी नक्सलवाद पर नकेल कसने के लिए महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक 2024 विधानसभा में लाया गया है। यह विधेयक छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और उड़ीसा राज्यों ने नक्सल संघटनाओं और संस्थाओं पर प्रभावी कार्रवाई करने के लिए बनाए सार्वजनिक सुरक्षा कानूनों के आधार पर लाया गया है।

महाराष्ट्र की महायुती सरकार ने विधेयक को प्रस्तुत करते हुए कहा है,प्रमुख संगठनों की अवैध कार्रवाइयों को कानूनी तरीकों से नियंत्रित करने के लिए कानून आवश्यक है क्योंकि मौजूदा कानून नक्सलवाद के खतरे से निपटने के लिए अप्रभावी और अपर्याप्त हैं।

विधेयक में स्पष्ट रूप से कहा गया है की “नक्सलियों की जब्त सामग्री महाराष्ट्र के शहरों में माओवादी नेटवर्क के सुरक्षित घरों और शहरी ठिकानों को दर्शाती है।”

“नक्सली संगठन या इसी तरह के संगठन अपने संयुक्त मोर्चों के माध्यम से अपने संवैधानिक जनादेश के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की विचारधारा फैलाने और राज्य में सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने के लिए आम लोगों के बीच अशांति पैदा कर रहे हैं।”

इस विधेयक में ‘अवैध गतिविधी’ संज्ञा का उल्लेख किया है, जिसकी स्पष्टता समझते हुए कहा गया है की ‘कोई भी कार्य जो सार्वजनिक व्यवस्था, शांति और शांति को खतरे में डालता है या सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव में हस्तक्षेप करता है या कानून या उसके स्थापित संस्थानों और कर्मचारियों के प्रशासन में हस्तक्षेप करता है।’

इस विधेयक में आगे कहा गया है की ऐसे गैरकानूनी संगठन के किसी भी गैरकानूनी कार्य को करने का प्रयास करने वालों या प्रयास करने के लिए सात साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

इसी के साथ इस विधेयक में प्रमुख 48 अवैध गतिविधियों में संलिप्त संस्थाओं पर बंदी के लिए प्रस्ताव भी डाला गया है। इस विधेयक के वचन के दौरान विधानसभा में काफी शोर-शराबा भी मचा। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने इस विधेयक पर आक्षेप रखते हुए कहा, “यह विधेयक को पहले से प्रसारित नहीं किया गया है, इसलिए सदस्यों को इसके प्रावधानों को पढ़ने और चर्चा करने के लिए एक दिन दिया जाना चाहिए” इसी के साथ उन्होंने विधानसभा के सभापति से इस विधेयक को मंजूर न करने की मांग रखी है।

यह भी पढ़े: 

“2014-23 तक भारत में 12 करोड़ रोजगार निर्माण…”; एसबीआई की रिपोर्ट!

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,343फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
184,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें