अजित पवार को साथ लेकर भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को चेतावनी दे दी है| इसके अलावा, महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान, एनसीपी और अजीत पवार, जो वित्त मंत्री भी हैं, ने यह विद्रोह का झंडा उठाया था कि धन के आवंटन में लगातार अन्याय हो रहा है। नए घटनाक्रम से शिवसेना के शिंदे गुट के विधायकों में दुविधा के संकेत दिख रहे हैं| फिलहाल सरकार में अजित पवार की भागीदारी से शिंदे गुट की नाराजगी को लेकर चर्चा चल रही है|
अजित पवार के महागठबंधन में शामिल होने से ऐसा कहा जा रहा है कि शिंदे गुट बैकफुट पर चला गया है| कल (2 जुलाई) से ही चर्चा चल रही है कि शिंदे गुट के विधायक नाराज हैं| एकनाथ शिंदे को मिलाकर कुल 40 विधायक हैं और उन्हें सत्ता में 10 मंत्री पद मिले हैं|महाराष्ट्र का कैबिनेट विस्तार पिछले साल से रुका हुआ है| शिंदे गुट के कई विधायक मंत्री पद पाने की उम्मीद लगाए बैठे थे|
वहीं, रविवार को अजित पवार भी महागठबंधन में आ गए और उनके साथ कुल नौ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली| नतीजा ये हुआ कि शिंदे गुट के विधायक अभी भी संघर्ष कर रहे हैं| कहा जा रहा है कि शिंदे गुट में नाराजगी है| इस पर शिंदे गुट के बड़े नेता और राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री शंभुराज देसाई ने प्रतिक्रिया दी है|
यह पूछे जाने पर कि क्या शिंदे गुट अजित पवार के आने से खुश है, शंभूराज देसाई ने कहा, ”हम खुश हैं|” हमारे विधायक 100 फीसदी खुश हैं| हमारे चेहरों को देखो| हमारे (शिंदे समूह-अजित पवार) मतभेद थे। कुछ मामलों में उनकी राय अलग थी, हमारी राय अलग थी| उनके और हमारे विचार अलग-अलग थे,लेकिन अब वे हमारे साथ आ गए हैं| वे गठबंधन में आये हैं|अब उनकी पिछली नीति बदल जायेगी| साथ ही हमारी नीति भी बदल जायेगी| नई नीति और फॉर्मूले के अनुसार हम आगे बढ़ेंगे|
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