मराठवाड़ा में कृषि समस्याओं के समाधान के लिए किसानों को नकद राशि दी जाए तो सब्सिडी राशि 51 हजार 737 करोड़ रुपये है|पूर्व संभागायुक्त सुनील केंद्राकर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यह राशि जुटाने के क्या तरीके हैं। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, यह राशि खरीफ और रबी सीजन के कुल 206.95 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के लिए बीज और उर्वरक के लिए 13,977 करोड़ रुपये की मौजूदा योजना से केवल 37,760 करोड़ रुपये अधिक है। उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि अन्य सभी योजनाओं को बंद करने और सीधे नकद भुगतान की सिफारिश ज्यादा फायदेमंद होगी|
उन्होंने सुझाव दिया है कि यदि पंजीकरण शुल्क में एक प्रतिशत की वृद्धि कर दी जाए तो इस राशि का भुगतान करने के लिए धन का उपयोग किया जा सकता है। राज्य में बैनामे के पंजीकरण पर 6 से 7 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क लिया जाता है। साथ ही पंजीकरण शुल्क 30 हजार रुपये की सीमा तक एक प्रतिशत के रूप में लिया जाता है। इस तरह के अतिरिक्त शुल्क विभिन्न स्थानों पर शुरू की गई नवीन योजनाओं के लिए लगाए जाते हैं। ठाणे और पुणे में मेट्रो सेस के तौर पर एक फीसदी अतिरिक्त स्टांप ड्यूटी लगाई गई है|चूंकि प्रस्तावित योजना भी नवीन है, इसलिए इस योजना के लिए एक प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने का सुझाव दिया गया है।
वर्ष 2022-23 में अभिस्वीकृति पत्र एवं विक्रय दस्तावेजों का संग्रहण 21923 करोड़ रुपये है। स्टांप ड्यूटी में एक फीसदी अतिरिक्त बढ़ोतरी की सिफारिश की गई है| पंजीकरण शुल्क की वर्तमान सीमा को 30,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने से 250 से 300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न हो सकता है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत राज्य सरकार के माध्यम से प्रति लाभार्थी 6 हजार रूपये की धनराशि प्रतिवर्ष व्यय की जाती है। राज्य में पंजीकृत पात्र लाभार्थियों की कुल संख्या 9776454 लाभार्थी है। इस पर अनुमानित खर्च 5865 करोड़ रुपये है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि उपरोक्त राशि को 37460 करोड़ रुपये की देनदारी से घटा दिया जाए तो शुद्ध देनदारी 31595 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगी।
अनावश्यक योजनाओं और अतिरिक्त कर्मचारियों को कम करने की सिफारिश: कृषि विभाग के पास अपनी वर्तमान स्थिति में बहुत कम विस्तार कार्य बचा है। किसान अब कृषि के बारे में अद्यतन जानकारी प्राप्त करने के लिए सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप ग्रुप, यूट्यूब, फेसबुक, राज्य सरकार और कृषि विश्वविद्यालय की वेबसाइटों का उपयोग करते हैं। इसलिए रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि यह जांचना जरूरी होगा कि क्या कृषि विभाग की गैरजरूरी योजनाओं के मुताबिक कर्मचारियों को कम करके खर्च बचाया जा सकता है|
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