“…यह अहंकार सही नहीं है”, राजू शेट्टी और रविकांत तुपकर के बीच तुलना!

​ रविकांत तुपकर ने नेतृत्व शैली और भूमिका पर आपत्ति जताई है​|​ इसी पृष्ठभूमि में पुणे में स्वाभिमानी किसान संघ की अनुशासन समिति की बैठक बुलाई गई है​,लेकिन, रविकांत तुपकर ने इस बैठक में नहीं जाने का फैसला किया है​|​

“…यह अहंकार सही नहीं है”, राजू शेट्टी और रविकांत तुपकर के बीच तुलना!

"...this arrogance is not right", comparison between Raju Shetty and Ravikant Tupkar!

पिछले कुछ दिनों से चर्चा है कि स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता रविकांत तुपकर नाराज हैं|रविकांत तुपकर ने नेतृत्व शैली और भूमिका पर आपत्ति जताई है|इसी पृष्ठभूमि में पुणे में स्वाभिमानी किसान संघ की अनुशासन समिति की बैठक बुलाई गई है​,लेकिन, रविकांत तुपकर ने इस बैठक में नहीं जाने का फैसला किया है|
उन्होंने कहा, ”मैंने ये बातें बार-बार बताई हैं। मैं बैठक में नहीं जाऊंगा|मैं किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा|मैं स्वाभिमानी किसान संघ में रहकर काम करने जा रहा हूं।’ रविकांत तुपकर ने कहा, मेरी नाराजगी और आपत्तियों को बार-बार राजू शेट्टी के कानों तक पहुंचाया गया है। आज की बैठक रविकांत तुपकर द्वारा की गई शिकायत को लेकर बुलाई गई है| तुपकर ने संगठन के किसी भी पदाधिकारी या मुझसे अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की| मैं माध्यम से सब कुछ सुन रहा हूं। तुपकर को बैठक में आकर अपनी बात रखनी चाहिए| यदि मेरे आचरण पर कोई आपत्ति है, तो इसे उठाया जा सकता है, भले ही मैं समिति की बैठक में हूं या नहीं।
रविकांत तुपकर ने कहा, ”मैंने ये सभी मुद्दे 4-5 साल तक राजू शेट्टी के सामने उठाए हैं| मैंने अनुशासन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर पोकले को भी अपनी राय सौंप दी है| सोमवार (7 जुलाई) को मैंने एक बार फिर प्रोफेसर पोकले के सामने अपनी राय रखी और कहा कि मैं समिति की बैठक में नहीं आ सकता| इस पर राजू शेट्टी ने कहा, ”संगठन के अंदर एक कमेटी होती है| ये अहंकार ठीक नहीं है, ये उस कमेटी के सामने नहीं आएगा| मैं खुद कमेटी के सामने पेश होने को तैयार हूं|’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुझे लेकर कोई आपत्ति है तो मैं समिति की बैठक में नहीं आऊंगा|

इस पर रविकांत तुपकर ने कहा, ”मैं बिल्कुल भी अहंकारी व्यक्ति नहीं हूं|मैं एक ग्राउंड वर्कर हूं|​  ऐसी बैठकें कई बार हो चुकी हैं|मैंने कई बार समिति के सदस्यों के समक्ष अपनी राय व्यक्त की है।’ यदि मेरी बात पर गौर किया गया होता तो मैं अधिकारियों की बैठक में नहीं बोलता|इसका मतलब ये नहीं कि मैं मीटिंग में नहीं आया, कि मैं अहंकारी हूं|

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