अजित पवार के पास कहां से आए 15 करोड़? सिंचाई घोटाले का जिक्र करते हुए अंजलि दमानिया का सवाल​ ​!

एनसीपी के अजित पवार समूह ने जिला अध्यक्ष के लिए 80 कारें बुक की हैं। पार्टी अजित पवार ग्रुप ने पदाधिकारियों के लिए 40 महिंद्रा स्कॉर्पियो और 40 महिंद्रा बोलेरो बुक की है| इससे अजित पवार की संपत्ति पर सवाल खड़े होते हैं|

अजित पवार के पास कहां से आए 15 करोड़? सिंचाई घोटाले का जिक्र करते हुए अंजलि दमानिया का सवाल​ ​!

Where did Ajit Pawar get Rs 15 crore from? Anjali Damania's question regarding irrigation scam!

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए देशभर की सभी पार्टियां काम में जुट गई हैं, जब चुनाव आते हैं तो नेता और पार्टियां जमकर पैसा खर्च करते नजर आते हैं| लेकिन, जहां एक तरफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जैसी पार्टी खजाना खाली होने की बात कहकर लोगों से पैसे इकट्ठा (क्राउड फंडिंग) कर रही है, वहीं कई अखबारों और वेबसाइटों ने खबर छापी है कि एनसीपी के अजित पवार समूह ने जिला अध्यक्ष के लिए 80 कारें बुक की हैं। पार्टी अजित पवार ग्रुप ने पदाधिकारियों के लिए 40 महिंद्रा स्कॉर्पियो और 40 महिंद्रा बोलेरो बुक की है| इससे अजित पवार की संपत्ति पर सवाल खड़े होते हैं|

ऐसी खबरें हैं कि अजित पवार समूह आगामी चुनाव से पहले अपने जिला अध्यक्षों और महत्वपूर्ण पदाधिकारियों को महंगी कारें उपहार में देगा। अजित पवार ने कुछ दिन पहले पार्टी के जिला अध्यक्ष को एक कार गिफ्ट करने का ऐलान किया था|अब वे इस घोषणा पर अमल करने जा रहे हैं| इसके लिए महिंद्रा की स्कॉर्पियो और बोलेरो कारों की टेस्टिंग चल रही है।बताया जाता है कि कुछ कारों को पार्टी विधानमंडल के पास स्थित पार्टी कार्यालय में टेस्ट ड्राइव के लिए लाया गया था। सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने इन कारों की खरीद को लेकर अजित पवार समूह की आलोचना की है।

अंजलि दमानिया ने कहा, 40 स्कॉर्पियो और 40 बोलेरो जैसी कुल 80 कारें उपहार में दी गई हैं।लेकिन ये कारें कहां से आईं? इतना पैसा कहां से आया? महिंद्रा स्कॉर्पियो की कीमत करीब 24.50 लाख रुपये है। बोलेरो की कीमत 13 लाख रुपये है| यानी इन 80 कारों पर 15 से 16 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं| ये 15-16 करोड़ रुपये कहां से आये? किसने दिया क्या अजित पवार ने खुद दिया या उनकी पार्टी ने दिया? मुझे एक बात का आश्चर्य है कि क्या ये सब बातें ED (प्रवर्तन निदेशालय), ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) और चुनाव आयोग को नहीं दिखतीं|

अंजलि दमानिया ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर भी एक पोस्ट किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि जिस समूह को अभी तक पार्टी घोषित नहीं किया गया है, उस पार्टी ने इतनी सारी कारें कहां से खरीद लीं? पैसा कहां से आया? किसने दान दिया? क्या ईडी/एसीबी और ईसी ने अब आंखें मूंद ली हैं? क्या ये सारा पैसा सिंचाई घोटाले का है या अजित पवार द्वारा धोखाधड़ी से कमाया गया पैसा है? ये सभी गाड़ियां कहाँ से आती हैं? एक आम आदमी गाड़ी खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकता।
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