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Saturday, April 26, 2025
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वक्फ कानून पर बंगाल में उबाल: ममता बोलीं “राज्य में लागू ही नहीं होगा”, भाजपा का गुस्सा !

भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह इस कानून को लेकर फैले असंतोष को जानबूझकर भड़का रही हैं।

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वक्फ संशोधन कानून के संसद से पारित होने के बाद देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। विपक्षी दलों के साथ-साथ कई मुस्लिम संगठनों ने इसे असंवैधानिक और अधिकारों के उल्लंघन वाला करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस बीच, पश्चिम बंगाल में भी इस कानून को लेकर सड़क पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांति बनाए रखने की अपील की है। लेकिन उनकी इसी अपील पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने तीखा हमला बोला और उन पर “हिंसा भड़काने” के आरोप लगाए।

पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद, बीरभूम, मालदा और उत्तरी 24 परगना जिलों में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में शुक्रवार की नमाज के बाद सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन हुए, जिसमें कई स्थानों पर कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति भी पैदा हुई। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर राज्य की जनता से अपील करते हुए लिखा,”सभी से अपील… सभी धर्मों के लोगों से मेरी विनम्र अपील है कि कृपया शांत और संयमित रहें। धर्म के नाम पर किसी भी अधार्मिक व्यवहार में शामिल न हों। हर इंसान की जान कीमती है, राजनीति के लिए दंगे मत भड़काओ। जो लोग दंगा कर रहे हैं, वे समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं।”

ममता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,”याद रखिए, हमने वह कानून नहीं बनाया है जिसे लेकर बहुत से लोग नाराज हैं। यह कानून केन्द्र सरकार द्वारा बनाया गया था। इसलिए जो जवाब आप चाहते हैं, वह केंद्र सरकार से मांगा जाना चाहिए। हमने इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है – हम इस कानून का समर्थन नहीं करते हैं। यह कानून हमारे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। तो फिर दंगा किस बात पर है?”

उन्होंने आगे कहा, “यह भी याद रखें कि हम दंगा भड़काने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। हम किसी भी हिंसक गतिविधि का समर्थन नहीं करते हैं। कुछ राजनीतिक दल राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके बहकावे में मत आइए। मेरा मानना है कि धर्म का अर्थ है मानवता, दया, सभ्यता और सद्भाव। सभी लोग शांति और सद्भाव बनाए रखें – यही मेरी अपील है।”

लेकिन ममता की इस अपील और बयान पर भाजपा ने सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह इस कानून को लेकर फैले असंतोष को जानबूझकर भड़का रही हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “ममता बनर्जी झूठी हैं। वक्फ संशोधन पर व्यापक असंतोष को भड़काने वाली वे पहली व्यक्ति थीं – जबकि जेपीसी और संसद अभी भी इसके पुराने प्रारूप के दुरुपयोग को रोकने और नए कानून में सुरक्षा उपाय जोड़ने के प्रावधानों पर चर्चा कर रहा था। उन्होंने सक्रिय रूप से हिंसा को उकसाया और प्रायोजित किया, खासकर शुक्रवार की नमाज के बाद।”

मालवीय ने अपने पोस्ट में एक वीडियो भी साझा किया जिसमें बंगाल सरकार के पुस्तकालय मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी, जो जमीयत उलेमा-ए-हिंद की राज्य इकाई के प्रमुख भी हैं, कथित रूप से कह रहे हैं, “मुख्यमंत्री के कार्यालय से एक कॉल आया जिसमें कहा गया कि वह इस तरह की भीड़ को देखकर बहुत खुश हैं।”

इस बयान को लेकर भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। अमित मालवीय ने ममता बनर्जी की सोशल मीडिया पर की गई शांति की अपील को रीपोस्ट करते हुए लिखा, “अब वह फिर से झूठ बोल रही हैं, दावा कर रही हैं कि वह इस कानून को राज्य में लागू नहीं करेंगी। सच तो यह है कि किसी भी राज्य सरकार के पास भारतीय संसद द्वारा पारित कानून को रोकने का अधिकार नहीं है। ममता बनर्जी के पास इसका पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। वह सांप्रदायिक हिंसा और उसके बाद हुई दुखद जानमाल की हानि के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।”

राज्य सरकार की ओर से इस पूरे विवाद में अभी तक कोई अतिरिक्त स्पष्टीकरण नहीं आया है, लेकिन कानून व्यवस्था को लेकर प्रशासन अलर्ट मोड में है। पुलिस ने हिंसक प्रदर्शन वाले इलाकों में फ्लैग मार्च किया है और सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने वालों पर निगरानी रखी जा रही है।

उधर, केंद्र सरकार ने कहा है कि वक्फ संशोधन कानून को लेकर विपक्ष और कुछ संगठनों द्वारा फैलाई जा रही “भ्रम की स्थिति” से निपटने के लिए जल्द ही विस्तृत दिशा-निर्देश और स्पष्टीकरण जारी किया जाएगा। कानून मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह कानून किसी विशेष समुदाय के अधिकारों का हनन नहीं करता बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संशोधन किया गया है।

इधर सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिन पर सुनवाई अगले सप्ताह होनी है।

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