बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने एक बार फिर बिना नाम लिए अपने भतीजे आकाश आनंद को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने साफ कहा कि उनके लिए पार्टी और मूवमेंट सर्वोपरि है, न कि कोई व्यक्तिगत संबंध या पारिवारिक रिश्ते।
मायावती ने सोमवार को अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह अपने जीवनकाल में कभी भी व्यक्तिगत हितों या रिश्तेदारों की वजह से बसपा को कमजोर नहीं होने देंगी। उन्होंने कहा,”मेरे लिए भाई-बहन और अन्य रिश्तेदार बहुजन समाज का ही एक हिस्सा हैं, उससे ज्यादा कुछ नहीं। पार्टी और मूवमेंट के लिए जो भी ईमानदारी और निष्ठा से काम करेगा, उसे आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, लेकिन इसमें मेरे निजी रिश्ते आड़े नहीं आएंगे।”
मायावती ने अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि 2007 में जब बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी, तब उत्तर प्रदेश में सामाजिक बदलाव देखने को मिला। उन्होंने कहा कि इससे पहले समाज के उच्च वर्ग के लोगों के सामने दलित और पिछड़े समाज के लोग न तो चारपाई पर बैठ सकते थे और न ही बराबरी की कुर्सी पर बैठने की हिम्मत कर सकते थे। लेकिन 2007 में उनकी सरकार बनने के बाद यह हालात काफी हद तक बदले।
“यह सही मायनों में सामाजिक परिवर्तन था और हमारे संतों, गुरुओं और महापुरुषों का सपना साकार होने की दिशा में एक बड़ा कदम था,” उन्होंने कहा। मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि वह समय-समय पर अपनी गरीबी का उल्लेख जरूर करते हैं, लेकिन उन्होंने कभी जातीय भेदभाव का सामना नहीं किया। उन्होंने कहा, “हमारे संतों, गुरुओं और महापुरुषों ने जो जातीय भेदभाव झेला है, वही उनके अनुयायी भी झेल रहे हैं।”
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बसपा प्रमुख ने संसद में चल रहे वक्फ बिल को लेकर केंद्र सरकार पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सत्ता और विपक्ष दोनों इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं, जो चिंता की बात है। उन्होंने कहा,”यदि इस मामले को समय रहते आम सहमति से सुलझा लिया जाता, तो बेहतर होता। केंद्र सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।” मायावती के इस बयान के बाद बसपा के अंदर उथल-पुथल की स्थिति और बढ़ सकती है, खासकर आकाश आनंद को लेकर पार्टी के भीतर चल रही चर्चा के बीच।