महाराष्ट्र की सियासत में अजित पवार की एनसीपी से बगावत के बाद विवाद में तेजी आ गई है। पार्टी में विवाद शुरू होने के बाद लड़ाई अब एनसीपी के अधिकार पर आ गई है। चाचा-भतीजे दोनों ने अपने-अपने दावे किए हैं। दोनों का कहना है कि उनके पास सबसे ज्यादा विधायक है। अब पार्टी पर अधिकार की ये जंग चुनाव आयोग के दरवाजे तक पहुंच गई है।
अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह ने उनके समर्थन में आयोग में विधायकों और सांसदों के 40 से अधिक हलफनामे दाखिल किये हैं। पार्टी के ज्यादा विधायक हमारे पक्ष में हैं। इस तरह उन्होंनें पार्टी पर अपना दावा ठोक दिया है। वहीं, शरद पवार खेमे ने भी चुनाव आयोग के समक्ष एक कैविएट दायर किया है। इसमें अनुरोध किया गया है कि दोनों गुटों में चल रही पार्टी की लड़ाई के संबंध में कोई भी निर्देश पारित करने से पहले उनकी बात सुनी जाए।
वहीं जयंत पाटिल की तरफ से आयोग को भी एक चेतावनी मिली है कि उन्होंने 9 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता प्रक्रिया शुरू कर दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पवार के आधिकारिक बंगले ‘देवगिरी’ में आयोजित बैठक में एनसीपी के कुल 54 विधायकों में से करीब 40 विधायक शामिल हुए।
भारतीय चुनाव आयोग को अजित पवार की ओर से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और पार्टी चिह्न पर दावा करने वाली याचिका मिली है। सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग आने वाले दिनों में इन आवेदनों पर कार्रवाई कर सकता है। इसके लिए वह दोनों पक्षों से उसके समक्ष प्रस्तुत संबंधित दस्तावेजों का आदान-प्रदान करने के लिए कह सकता है। आज एनसीपी के दोनों धड़ों की बड़ी बैठक हुई है। इस बैठक में अजित पवार के पक्ष में ज्यादा विधायक मौजूद रहे। वहीं, अजित ने चाचा शरद को रिटायर होने की सलाह भी दे डाली।
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