केंद्रीय रेल, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी की भारत में गैर-जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन क्षमता 45% तक पहुंच गई है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए यह स्पष्ट किया कि ऊर्जा उत्पादन और बिजली उत्पादन क्षमता दो अलग-अलग चीजें हैं। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि 100 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट समान क्षमता वाले सोलर प्लांट की तुलना में अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
उन्होंने कुल स्थापित क्षमता का विवरण देते हुए बताया कि सौर ऊर्जा 21.52%, पवन ऊर्जा 10.37%, कोयला 47.29%, हाइड्रो 10.07%, परमाणु ऊर्जा 1.75%, तेल और गैस 5.45%, स्मॉल हाइड्रो 1.09% और बायो-एनर्जी 2.45% का योगदान कर रहे हैं।
एक मीडिया कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जिन देशों की प्रति व्यक्ति आय 3,000 डॉलर है, वहां आमतौर पर गैर-जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन क्षमता 5-7% होती है। लेकिन जब उन्होंने बताया कि भारत में यह आंकड़ा 45% है, तो सभी को अहसास हुआ कि देश में बड़ा बदलाव हो रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। रेलवे के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इस वर्ष 100% विद्युतीकृत नेटवर्क स्थापित किया जाएगा, साथ ही नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य पर भी काम हो रहा है।
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भारत की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता 20 जनवरी 2024 तक 217.62 गीगावाट तक पहुंच गई है। 2024 में सौर और पवन ऊर्जा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जिससे 2025 और 2030 तक महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करने के लक्ष्य के साथ, भारत स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी के रूप में उभर रहा है।