भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर शब्दों की जंग छिड़ गई है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में एक बयान देते हुए कहा था कि “कोई पाकिस्तान से पानी की एक बूंद भी नहीं छीन सकता”। माना जा रहा है कि उनका यह बयान सिंधु जल संधि और हालिया जल विवाद को लेकर था।
इस कथन पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ा जवाब दिया। ओवैसी ने कहा, “ब्रह्मोस है हमारे पास… उन्हें ऐसी बकवास नहीं करनी चाहिए। पाकिस्तान की ऐसी धमकियों का भारत पर कोई असर नहीं होगा। बहुत हो गया।”
ओवैसी का यह बयान स्पष्ट करता है कि वह पाकिस्तान की कथित ‘गीदड़भभकी’ को गंभीरता से नहीं लेते और भारत की सैन्य क्षमता पर पूरा भरोसा जताते हैं।
भारत का आरोप है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर और अन्य हिस्सों में हिंसक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, जबकि पाकिस्तान इन आरोपों को नकारता रहा है और उल्टा भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाता है। यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर अक्सर उठता है।
साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई सिंधु जल संधि के तहत तीन नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) के जल उपयोग के अधिकार पाकिस्तान को और तीन नदियों (ब्यास, रावी, सतलुज) के अधिकार भारत को दिए गए थे।
हाल के वर्षों में भारत ने पश्चिमी नदियों पर कुछ जलविद्युत परियोजनाएं शुरू की हैं, जिन पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है और मामले को मध्यस्थता के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय व विश्व बैंक के पास ले जाया गया है। भारत का कहना है कि परियोजनाएं संधि के दायरे में हैं, जबकि पाकिस्तान को आशंका है कि इससे उसके जल प्रवाह पर असर पड़ेगा।
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