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संसद सत्र: सरकार के खिलाफ बिखरता विपक्ष!: अडानी पर सपा और टीएमसी ने कांग्रेस से बनायी दूरी!

भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य ने कहा, 'आप गठबंधन की स्थिति देख सकते हैं। कभी टीएमसी गायब है तो कभी आम आदमी पार्टी गायब है। कांग्रेस जहां भी लोगों के पास जाती है, जनता उन्हें वहां ठुकरा देती है।

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संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन मंगलवार को भी हंगामा जारी रहा। दरअसल, अडानी मामले पर विपक्ष ने लोकसभा से वॉकआउट किया। उसके बाद संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन करने लगे। इस प्रदर्शन में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सांसद प्रियंका गांधी शामिल हुए। हालांकि, इससे समाजवादी पार्टी (एसपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने दूरी बना ली है। ऐसे में सरकार के खिलाफ विपक्ष बिखरता नजर आया। इस दूरी ने एक बार फिर इंडिया गठबंधन में आई दरार को सामने ला दिया।

अडानी मामले पर संसद में इंडिया गठबंधन के विरोध में टीएमसी के शामिल नहीं होने पर भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘आप गठबंधन की स्थिति देख सकते हैं। कभी टीएमसी गायब है तो कभी आम आदमी पार्टी गायब है। कांग्रेस जहां भी लोगों के पास जाती है, जनता उन्हें वहां ठुकरा देती है। कांग्रेस के पास अब सिर्फ एक जगह है- संसद का गेट या फिर सदन नहीं चलने देना। यही कांग्रेस का एजेंडा है।

टीएमसी कब और कहां जाएगी। कोई नहीं जानता |ममता बनर्जी चाहती थीं कि मल्लिकार्जुन खरगे इस गठबंधन का चेहरा बनें। उन्होंने उन्हें देश का पीएम बनने का प्रस्ताव दिया था। वही मल्लिकार्जुन खडगे के स्पष्ट आह्वान में अब टीएमसी शामिल नहीं है। अब यह सब नाटक है। वे लोकतंत्र की मर्यादा को नुकसान पहुंचा रहे हैं।’

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने टीएमसी के न शामिल होने पर कहा उन्होंने, ‘हमारे बीच अब तक और मामलों में सही समन्वय चल रहा है। उनको पता है बंगाल में हम लोग एक साथ नहीं है। इसलिए शायद वह इस विषय पर भी अलग हैं। संसद में किस विषय पर बात होगी यह सरकार तय करेगी। मगर विपक्ष और कोई रास्ता निकाल लेगा।

25 नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार गतिरोध बना हुआ है। कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस अडानी मामले को लेकर है, लेकिन समाजवादी पार्टी संभल हिंसा पर चर्चा की मांग कर रही है।

सत्र के दौरान तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि सदन में मंहगाई, बेरोजगारी, किसान, उर्वरक, विपक्षी राज्यों को मिलने वाले पैसे में कटौती और मणिपुर जैसे मुद्दों को लेकर चर्चा हो। वहीं कांग्रेस चाहती है कि अडानी मुद्दे पर ही चर्चा हो। कांग्रेस के रूख से सपा भी अपना किनारा करती दिख रही है। 

दूसरी ओर अन्य विपक्षी दल भी चाहते हैं कि किसान, संभल और मणिपुर जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो। टीएमसी का रुख साफ है कि संसद में सभी मुद्दों पर चर्चा हो, कमोबेश ऐसा ही कुछ समाजवादी पार्टी भी चाहती है।

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