प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताहांत मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में होने वाले आसियान (ASEAN) शिखर सम्मेलन में शामिल होने नहीं जाएंगे। उन्होंने मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम को सूचित किया है कि वे दीपावली उत्सवों के कारण बैठक में वर्चुअली शामिल होंगे। इस दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, “मेरे प्रिय मित्र, मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से गर्मजोशीपूर्ण बातचीत हुई। उन्हें मलेशिया की आसियान अध्यक्षता पर बधाई दी और आगामी शिखर सम्मेलनों की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। मैं आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में वर्चुअली जुड़ने और भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और गहराई देने की प्रतीक्षा कर रहा हूं।”
Had a warm conversation with my dear friend, Prime Minister Anwar Ibrahim of Malaysia. Congratulated him on Malaysia’s ASEAN Chairmanship and conveyed best wishes for the success of upcoming Summits. Look forward to joining the ASEAN-India Summit virtually, and to further…
— Narendra Modi (@narendramodi) October 23, 2025
मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भी सोशल मीडिया पर पुष्टि करते हुए कहा, “हमने महीने के अंत में कुआलालंपुर में होने वाले 47वें आसियान शिखर सम्मेलन के आयोजन पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत में चल रहे दीपावली उत्सवों के कारण वे वर्चुअली हिस्सा लेंगे।”

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, “विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 27 अक्टूबर को मलेशिया में आयोजित होने वाले 20वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह सम्मेलन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि की चुनौतियों पर विचार-विमर्श का अवसर प्रदान करेगा तथा क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों पर विचार साझा किए जाएंगे।”
यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से आसियान बैठक में हिस्सा लेने से परहेज किया है। नवंबर 2022 में कंबोडिया के फ्नोम पेन्ह में हुए सम्मेलन में भी भारत का प्रतिनिधित्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया था।इस बार का सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता जटिल दौर से गुजर रही है। डोनाल्ड ट्रंप के संभावित टैरिफ बढ़ोतरी के खतरे के बीच आसियान मंच को दोनों नेताओं के बीच रिश्ते सुधारने के अवसर के रूप में देखा जा रहा था।
कनाडा स्थित एशिया-पैसिफिक फाउंडेशन के वरिष्ठ शोधकर्ता माइकल कुगेलमैन ने कहा, “आसियान में मोदी-ट्रंप मुलाकात से रिश्तों में स्पष्टता आती, व्यापार समझौते पर सहमति बन सकती और यह भी आंका जा सकता था कि ट्रंप क्वाड नेताओं के भारत सम्मेलन में शामिल होंगे या नहीं।”
हालांकि भारतीय कूटनीतिक विशेषज्ञ इस निर्णय को उचित मानते हैं। पूर्व विदेश सचिव कनवल सिब्बल के अनुसार, प्रधानमंत्री का व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में न जाना सही फैसला है। उन्होंने कहा कि “अगर मोदी शामिल होते तो ट्रंप से मुलाकात टालना असंभव होता और अमेरिकी राष्ट्रपति की अनिश्चित प्रवृत्ति भारत के लिए राजनीतिक जोखिम पैदा कर सकती थी।” उन्होंने आगे कहा, “जब तक व्यापार समझौता अंतिम रूप से तय नहीं हो जाता, तब तक ट्रंप से आमने-सामने मुलाकात से बचना ही बेहतर है। ट्रंप सार्वजनिक रूप से श्रेय लेने की प्रवृत्ति रखते हैं और अन्य नेताओं को असहज स्थिति में डाल सकते हैं।”
भू-राजनीतिक विश्लेषक ब्रह्मा चेल्लाने ने एक्स पर लिखा, “ट्रंप की मौजूदगी वाले आसियान शिखर सम्मेलन में मोदी का न जाना यह संकेत है कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति से दूरी बनाए रखना चाहते हैं, जिन्होंने भारत पर टैरिफ और प्रतिबंधों का दबाव बनाए रखा है।”
कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री की यह रणनीति स्पष्ट संकेत देती है कि मोदी ट्रंप से मुलाकात तभी करेंगे जब भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अंतिम रूप ले लेगा। राजदूत के.सी. सिंह ने भी इस फैसले को सावधानीपूर्ण और व्यावहारिक बताया। उन्होंने कहा, “ट्रंप के नजदीक रहना अप्रत्याशित नतीजे दे सकता है। वे भारत पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के दावे दोहरा सकते हैं या अतिरंजित बयानों से माहौल बिगाड़ सकते हैं। फिलहाल दूरी बनाए रखना ही समझदारी है।”
दीवाली के इस उत्सव काल में प्रधानमंत्री मोदी का वर्चुअल जुड़ना न केवल सांस्कृतिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर एक सोच-समझा कदम भी माना जा रहा है, जिससे भारत अपने हितों को संतुलित रखते हुए अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में संयम बनाए रख सके।
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