प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार(11 अप्रैल) को अपने संसदीय क्षेत्र काशी के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे, जहां काशीवासियों ने उनका पारंपरिक जोश और गर्मजोशी से स्वागत किया। दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने करीब 3,900 करोड़ रुपये की 44 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया, जिनमें बुनियादी ढांचा, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल सुविधाओं से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने मेहंदीगंज में आयोजित भव्य जनसभा में भोजपुरी में संवाद करते हुए अपने गहरे आत्मीय भाव प्रकट किए। उन्होंने कहा, “काशी मेरी है और मैं काशी का हूं।” उन्होंने पूर्वांचल के युवाओं, महिलाओं और किसानों की उन्नति को काशी के विकास से जोड़ते हुए इसे पूरे क्षेत्र के आर्थिक भविष्य का इंजन बताया। उन्होंने कहा, “जौने काशी के स्वयं महादेव चलावेलन, आज उहे काशी पूर्वांचल के विकास के रथ के खींचत हौ।”
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर काशी के सांस्कृतिक वैभव और आधुनिक बुनियादी ढांचे के समन्वय को ‘भारत के विकास का एक अनूठा मॉडल’ बताया। उन्होंने कहा कि काशी अब केवल आस्था और परंपरा की नगरी नहीं रही, बल्कि यह आधुनिकता, नवाचार और प्रगति की पहचान बन चुकी है।
इस दौरान उन्होंने वाराणसी को जोड़ने वाले भिखारीपुर और मंडुआडीह के फ्लाईओवर, बनारस-सारनाथ पुल, लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट का विस्तार, 6-लेन अंडरग्राउंड टनल, और प्रस्तावित सिटी रोपवे जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स को गति देने की बात की। उन्होंने बताया कि पिछले दस वर्षों में पूर्वांचल क्षेत्र में 45,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश सिर्फ कनेक्टिविटी पर किया गया है।
प्रधानमंत्री ने मंच से ‘आयुष्मान वय वंदना कार्ड’ का भी वितरण किया, जिसके तहत 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। उन्होंने कहा, “अब इलाज के लिए न जमीन बिकेगी, न कर्ज लिया जाएगा, आपके इलाज का खर्च अब सरकार उठाएगी।” अब तक काशी में 50,000 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को यह कार्ड मिल चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों के 30 से अधिक उत्पादों को मिले GI टैग का उल्लेख किया। उन्होंने तबला, शहनाई, ठंडई, लाल भरुआ मिर्च और तिरंगा बर्फी जैसे उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए जीआई टैग को ‘मिट्टी की पहचान का पासपोर्ट’ करार दिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश को GI टैगिंग में देश में नंबर वन राज्य बताया।
सभा में उन्होंने बनास डेयरी के 1 लाख पशुपालकों को 106 करोड़ रुपये की बोनस राशि ट्रांसफर की और इसे पशुपालकों की तपस्या का फल बताया। उन्होंने कहा कि काशी की महिलाएं अब ‘लखपति दीदी’ बन रही हैं, जो सामाजिक और आर्थिक बदलाव की नई कहानी लिख रही हैं।
प्रधानमंत्री ने महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनकी समाज सुधार की विचारधारा को सरकार की योजनाओं की प्रेरणा बताया। उन्होंने परिवारवाद पर निशाना साधते हुए कहा, “हमारा मंत्र है ‘सबका साथ, सबका विकास’, जबकि कुछ लोगों का मंत्र है – ‘परिवार का साथ, परिवार का विकास’।”
खेलों के क्षेत्र में प्रधानमंत्री ने काशी के युवाओं को 2036 ओलंपिक की तैयारी करने की प्रेरणा दी और कहा कि काशी में नए स्टेडियम व स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की नींव रखेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अंत में काशी को भारत की आत्मा बताते हुए कहा, “जो काशी को सहेजता है, वह भारत की आत्मा को सहेजता है।” उन्होंने काशीवासियों से आह्वान किया कि वे विकास की इस महायात्रा में सहभागी बनें और काशी को विरासत और विकास के संगम का प्रतीक बनाएं। “काशी में हर गली, हर मोहल्ला भारत के किसी कोने से जुड़ा है। यही विविधता, यही एकता काशी की आत्मा है और यही भारत की सबसे सुंदर तस्वीर।”
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