इसी बीच, पार्टी नेता और मुरादाबाद के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने दावा किया कि अगर आजम खान पार्टी छोड़ भी देते हैं, तो इसका कोई बड़ा असर नहीं होगा, क्योंकि उत्तर प्रदेश का मुसलमान अखिलेश यादव के साथ है। हसन लंबे समय से आजम खान के विरोधी माने जाते रहे हैं। उनका मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कटवाने के पीछे आजम का ही हाथ था।
आजम के बसपा में जाने की संभावनाओं पर पूछे गए सवाल पर हसन ने कहा कि मुस्लिम वोट किसी भी सूरत में बंटेगा नहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुसलमानों की प्राथमिकता भाजपा को हराना है और यह काम केवल सपा ही कर सकती है। उन्होंने कहा कि “थोड़ा-बहुत असर जरूर पड़ेगा, लेकिन मुसलमान पूरी तरह अखिलेश यादव के साथ खड़ा है।”
आजम खान से रिश्तों में कड़वाहट पर भी हसन ने खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “आजम बहुत बड़े नेता हैं। उन्होंने मेरे जैसे कई लोगों को खड़ा किया है। लेकिन मेरे साथ जो हुआ, वह सबको मालूम है। बिना गलती के मुझे सजा मिली। अब मेरा दिल नहीं चाहता उनके पास जाने का। हां, अगर उनका हुक्म होगा तो मैं जरूर जाऊंगा।”
इस तरह, आजम खान के भविष्य को लेकर भले ही सियासी अटकलें जारी हैं, लेकिन सपा के भीतर और बाहर दोनों ही स्तर पर इस मसले ने नई बहस छेड़ दी है।
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