एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने बयान दिया था कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। अगर महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संबंधित विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई की जाती है, तो शिवसेना के विधायक उद्धव ठाकरे के पास लौट आएंगे। अगर ऐसा होता है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा। यह बात जयंत पाटिल ने कही। मीडिया के प्रतिनिधियों ने आज विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार से इस बारे में पूछा तो अजित पवार ने कहा कि मैं पहले जयंत पाटिल से पूछूंगा, जानकारी लूंगा, फिर इस पर टिप्पणी करूंगा|
अजित पवार ने कहा कि मैंने जयंत पाटिल का बयान पूरा सुना| लेकिन फिलहाल मुझे वह स्थिति नजर नहीं आ रही है। वह और मैं 1 अप्रैल को मिलने जा रहे हैं। इसलिए मैं उनसे पूछूंगा कि हमें क्या संकेत मिले हैं, या हमें क्या जानकारी मिली है, जिसके आधार पर हमने ऐसा बयान दिया है। मैं सहयोगी और पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते जयंत पाटिल से इस बारे में जानकारी मांगूंगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नजर : महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अभी पूरी हुई है| मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की तकरार खत्म हो चुकी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला नहीं सुनाया। इस नतीजे पर पूरे देश की नजर है। क्योंकि इसी पर राज्य की राजनीति की भावी दिशा तय होगी।
महाराष्ट्र में 9 महीने पहले शिवसेना के 40 विधायक एक साथ आए और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी से बगावत कर दी। शिंदे और 40 विधायकों ने अलग गुट बनाया और भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सत्ता बनाई, लेकिन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इसके खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की थी| चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नाम और पार्टी का सिंबल दे दिया। ऐसे में अब उद्धव ठाकरे के सामने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है|
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