किताब में इसका सटीक जिक्र किस मौके का है?: शर्मिष्ठा मुखर्जी किताब में कहती हैं, ”एक सुबह, प्रणब मुखर्जी मुगल गार्डन (अब अमृत गार्डन) में सुबह की सैर के लिए गए। उस वक्त राहुल गांधी उनसे मिलने पहुंचे| प्रणब मुखर्जी को सुबह की सैर और पूजा-पाठ में कोई रुकावट नहीं होती थी| फिर भी उन्होंने राहुल गांधी से मिलने का फैसला किया|
इस बारे में जानकारी करने पर उन्हें पता चला कि शाम को राहुल गांधी से मुलाकात तय थी| लेकिन राहुल गांधी के कार्यालय ने उन्हें बताया कि पूर्व निर्धारित बैठक सुबह थी| उन्होंने मुझे यह घटना सुनाई और कहा कि अगर राहुल गांधी के कार्यालय को एएम और पीएम के बीच अंतर नहीं पता है, तो वह प्रधानमंत्री कार्यालय चलाने की आशा या सपना कैसे देख सकते हैं?
प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में क्या कहा?: जैसा कि प्रणब मुखर्जी की बेटी ने दावा किया है, प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में यह भी लिखा है कि राहुल गांधी एआईसीसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। मुझे नहीं पता कि वे क्यों अनुपस्थित थे। इसके साथ ही प्रणब मुखर्जी ने यह भी बताया कि ‘सोनिया गांधी अपने बेटे (राहुल गांधी) को उत्तराधिकारी बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं, लेकिन इस युवा (राहुल गांधी) में कुछ हद तक राजनीतिक करिश्मा और राजनीतिक समझ की कमी है। क्या वह कांग्रेस को पुनर्जीवित कर सकते हैं? क्या वे लोगों को प्रेरित कर सकते हैं?
2013 में क्या हुआ?: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी विधायकों और सांसदों को अपील के लिए तीन महीने का समय दिए बिना अयोग्य घोषित करने का आदेश दिया। इसके बाद तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बदलने के लिए एक अध्यादेश जारी किया| इस पर राहुल गांधी नाराज हो गये| उन्होंने अध्यादेश की प्रति फाड़कर फेंक दी। उन्होंने इस मामले में सरकार की भूमिका को भी राजनीतिक और गलत बताया|
इस बारे में बात करते हुए शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा था, राहुल गांधी द्वारा बिल फाड़कर फेंकने की जानकारी मैंने ही प्रणब मुखर्जी को दी थी| इस बात से वह दुखी था. वह गुस्से में था और उसका चेहरा लाल था| उन्होंने चिल्लाकर कहा कि राहुल गांधी अपने बारे में क्या सोचते हैं| हालाँकि, मुझे बाद में एहसास हुआ कि प्रणब मुखर्जी सैद्धांतिक स्तर पर राहुल गांधी से सहमत थे।
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