राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार (3 नवंबर) उत्तराखंड राज्य के गठन की रजत जयंती के अवसर पर देहरादून में उत्तराखंड विधानसभा को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विधानसभाएं हमारे संसदीय लोकतंत्र की एक प्रमुख आधारशिला हैं। उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान निर्माताओं ने संसदीय प्रणाली को अपनाकर जनता के प्रति निरंतर जवाबदेही को सर्वोपरि रखा। यही इस प्रणाली की सबसे बड़ी ताकत और चुनौती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विधायक जनता और सरकार के बीच सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। उन्होंने कहा कि जनता से जुड़ने और जमीनी स्तर पर सेवा करने का अवसर मिलना एक बड़ा सौभाग्य है। यदि विधायक जनता की समस्याओं के समाधान और उनके कल्याण के लिए सक्रिय रूप से कार्य करते रहें, तो जनता और उनके जनप्रतिनिधियों के बीच भरोसे का बंधन अटूट रहेगा।
उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा के सदस्यों से आग्रह किया कि वे विकास और जनकल्याण के कार्यों में पूर्ण समर्पण के साथ जुटें। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्य दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं। राष्ट्रपति ने विधायकों से विशेष संवेदनशीलता के साथ समाज के वंचित वर्गों के कल्याण और विकास के लिए काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को अधिक से अधिक अवसर प्रदान करना भी विधायकों की प्राथमिकता होनी चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 44 का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का प्रावधान किया था। उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा के सदस्यों को संविधान की इस भावना के अनुरूप समान नागरिक संहिता विधेयक लागू करने के लिए बधाई दी। उन्होंने यह भी सराहा कि उत्तराखंड विधानसभा में अब तक 550 से अधिक विधेयक पारित किए गए हैं, जिनमें उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, उत्तराखंड जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार विधेयक तथा एंटी-कॉपीिंग विधेयक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी कानून पारदर्शिता, नैतिकता और सामाजिक न्याय की भावना से प्रेरित हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड को प्रकृति ने अपार सौंदर्य और संसाधनों से नवाजा है। राज्य को विकास की दिशा में आगे बढ़ते हुए इन प्राकृतिक धरोहरों का संरक्षण भी करना होगा। उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। साथ ही डिजिटल और भौतिक संपर्कता तथा आधारभूत ढांचे में भी राज्य ने बड़ी छलांग लगाई है। इन समग्र प्रयासों के परिणामस्वरूप मानव विकास के कई सूचकांकों पर राज्य का प्रदर्शन बेहतर हुआ है।
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य राज्य और देश को तीव्र विकास के मार्ग पर आगे ले जाएंगे।
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