अफगानिस्तान एक बार फिर भीषण भूकंप से दहल उठा है। सोमवार (3 नवंबर) तड़के उत्तरी शहर मज़ार-ए-शरीफ़ के पास आए 6.3 तीव्रता वाले भूकंप में अब तक 20 लोगों की मौत और 150 से अधिक के घायल होने की खबर है। अफ़ग़ानिस्तान हर साल औसतन 560 लोगों की जान लेने वाले और 80 मिलियन डॉलर से अधिक नुकसान पहुंचाने वाले भूकंपों से जूझता है।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, सोमवार सुबह आया यह भूकंप मज़ार-ए-शरीफ़ से 22 किलोमीटर पश्चिम-दक्षिणपश्चिम में, 28 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया। समनगन प्रांत के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता समीम जॉयंदा ने बताया, “अब तक सात लोगों की मौत और 150 से अधिक घायल अस्पतालों में भर्ती कराए गए हैं।”
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पांच लाख की आबादी वाले इस शहर में लोग भयभीत होकर सड़कों पर निकल आए। एक महिला ने मीडिया से कहा, “मैंने अपने जीवन में इतना तेज़ झटका कभी महसूस नहीं किया। दीवारों में दरारें आ गईं और खिड़कियां टूट गईं।”
तालिबान प्रशासन ने बताया कि भूकंप से शहर की प्रसिद्ध ब्लू मस्जिद को भी नुकसान पहुंचा है। एएफपी के मुताबिक, मस्जिद के मीनारों से सजावटी हिस्से टूटकर ज़मीन पर बिखर गए। अधिकारियों ने कहा कि मलबा हटाने और राहत कार्यों के लिए पुलिस और बचाव दल सक्रिय हैं।
अफगानिस्तान में भूकंप कोई नयी बात नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में देश ने कई घातक झटके सहे हैं। अगस्त 2025 में आए 6.0 तीव्रता के भूकंप ने कुनर और नंगरहार प्रांतों को हिला दिया था। अक्टूबर 2023 में हेरात प्रांत में 6.3, 6.3 और 6.4 तीव्रता के तीन भूकंपों में 2,400 से अधिक लोगों की जान गई थी।
मार्च 2023 में बदख्शां प्रांत में 6.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जबकि जून 2022 में खोस्त और पक्तिका में आए 6.1 तीव्रता के झटकों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। सबसे शक्तिशाली भूकंप अक्टूबर 2015 में आया था, जब 7.5 तीव्रता के झटकों ने हिंदूकुश क्षेत्र को हिला दिया था।
विशेषज्ञ बताते हैं कि अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। यह देश भारतीय और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेटों के संगम पर स्थित है। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो पृथ्वी की परतों में दरारें और विक्षोभ उत्पन्न होता है, जिससे भूकंप आते हैं। देश में चमन फॉल्ट, मेन पामीर थ्रस्ट और अन्य सक्रिय फॉल्ट लाइनों का जाल फैला हुआ है यही क्षेत्रीय भूकंपों का प्रमुख कारण है।
विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी अफगानिस्तान सबसे अधिक भूकंपीय खतरे वाला इलाका है। यहां भूकंप के साथ-साथ भूस्खलन भी होता है, जो जान-माल के नुकसान को कई गुना बढ़ा देता है।
ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के सिस्मोलॉजिस्ट ब्रायन बैप्टी ने बताया, “अफगानिस्तान में इमारतें भूकंप-रोधी नहीं हैं। ज़्यादातर घर लकड़ी, मिट्टी या कमजोर कंक्रीट से बने होते हैं, जो झटकों में ढह जाते हैं।” इसके अलावा, भूकंप से उत्पन्न भूस्खलन और नदियों के अवरुद्ध होने से बाढ़ की स्थिति भी बन जाती है।
2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से मानवीय सहायता में कमी आई है। कई देशों ने अफगानिस्तान से दूरी बना ली है, जिससे आपदा राहत और बचाव कार्यों में देरी होती है। यही वजह है कि मामूली तीव्रता वाले भूकंप भी देश में भारी तबाही मचा देते हैं।
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