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Wednesday, December 31, 2025
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दृष्टिबाधित छात्रों का गाना सुनकर भावुक हुईं राष्ट्रपति मुर्मू, छलक पड़े आंसू, वीडियो वायरल

जन्मदिन पर महामहिम राष्ट्रपति के लिए भावुक क्षण

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उत्तराखंड दौरे पर पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का एक भावुक क्षण इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। शुक्रवार को अपने जन्मदिन के मौके पर जब राष्ट्रपति राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान में पहुंचीं, तो वहां दृष्टिबाधित छात्रों ने उनके लिए एक खास कार्यक्रम प्रस्तुत किया। छात्रों द्वारा गाए गए गीत ‘बार-बार ये दिन आए’ को सुनते ही राष्ट्रपति भावुक हो उठीं और मंच पर ही उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े।

इस मार्मिक पल में पास में मौजूद सुरक्षाकर्मी ने उन्हें टिश्यू पेपर थमाया, जिससे उन्होंने अपने आंसू पोंछे। यह दृश्य कैमरे में कैद हो गया और अब सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। वीडियो देखकर देशभर से लोग राष्ट्रपति की सादगी और संवेदनशीलता की सराहना कर रहे हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंची हैं। अपने जन्मदिन पर उन्होंने देवभूमि में दृष्टिबाधित बच्चों के साथ समय बिताना चुना, जो उनके जनसेवा और संवेदनशीलता के मूल्यों को दर्शाता है। बच्चों के द्वारा प्रस्तुत गीत और उनके स्नेह से अभिभूत होकर राष्ट्रपति ने बच्चों को आशीर्वाद दिया।

देशभर से राष्ट्रपति मुर्मू को जन्मदिन की शुभकामनाएं मिलीं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। विनम्र शुरुआत से लेकर सर्वोच्च संवैधानिक पद तक की उनकी असाधारण यात्रा—नम्रता, सादगी और प्रतिष्ठा का प्रतीक रही है और यह हमारे लोकतंत्र की सच्ची भावना को दर्शाती है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘एक्स’ पर उन्हें बधाई देते हुए लिखा, “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। उनका जीवन और नेतृत्व देश भर के करोड़ों लोगों को प्रेरित करता रहेगा। जनसेवा, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता सभी के लिए आशा और शक्ति की किरण है। ईश्वर उन्हें दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करे।”

राष्ट्रपति मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के एक छोटे से गांव उपरबेड़ा में हुआ था। वे संथाल जनजाति से संबंध रखती हैं। उनके पिता बिरंची नारायण टुडू गांव के मुखिया थे और पंचायती राज व्यवस्था से सक्रिय रूप से जुड़े थे। एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने वाली राष्ट्रपति मुर्मू आज करोड़ों देशवासियों के लिए प्रेरणा की प्रतीक हैं।

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