संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए बाबासाहेब के जीवन, संघर्ष और योगदान को श्रद्धापूर्वक नमन किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बाबासाहेब की तस्वीर के साथ एक भावपूर्ण संदेश साझा करते हुए उन्हें भारत की आत्मा का शिल्पकार बताया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संदेश में लिखा, “भारतीय संविधान के शिल्पकार, बाबासाहेब भीमराव रामजी आंबेडकर के जन्म दिवस पर मैं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। अपने प्रेरणादायी जीवन में बाबासाहेब ने अत्यंत विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए अपनी विशेष पहचान बनाई और असाधारण उपलब्धियों से विश्व स्तर पर सम्मान अर्जित किया।”
उन्होंने आगे कहा, “विलक्षण क्षमताओं और बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी बाबासाहेब अर्थशास्त्री, शिक्षाविद, न्यायविद और महान समाज सुधारक थे। वे समानता के प्रबल पक्षधर थे। उन्होंने महिलाओं तथा पिछड़े और वंचित वर्गों को समान आर्थिक और सामाजिक अधिकार दिलाने के लिए आजीवन संघर्ष किया। वे शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन और वंचित वर्गों के सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण साधन मानते थे। विभिन्न क्षेत्रों में उनका अमूल्य योगदान भावी पीढ़ियों को राष्ट्र-निर्माण के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।”
राष्ट्रपति ने देशवासियों से डॉ. आंबेडकर के विचारों को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा, “आइए, इस अवसर पर हम सब डॉ. आंबेडकर की शिक्षाओं और आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें और एक ऐसे भारत का निर्माण करें जहां सामाजिक समरसता और समानता का आदर्श स्वरूप दिखाई दे।”
इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर भी देश को संबोधित करते हुए लोगों से बाबा साहेब के आदर्शों को आत्मसात करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, “अपने प्रेरणादायक जीवन में बाबा साहेब ने अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपनी एक अलग पहचान बनाई और अपनी असाधारण उपलब्धियों से दुनिया भर में सम्मान प्राप्त किया।”
गौरतलब है कि हर वर्ष 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत के संविधान निर्माता, समाज सुधारक और दलित आंदोलन के प्रणेता डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन और विचारों को सम्मान देने का अवसर होता है। देशभर में इस दिन रैलियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम और संगोष्ठियां आयोजित की जाती हैं, जिनमें बाबा साहेब के समानता, शिक्षा और सामाजिक न्याय जैसे सिद्धांतों को स्मरण किया जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यह संदेश इस बात की गवाही है कि बाबासाहेब अंबेडकर का विचार आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके जीवनकाल में था — और उनकी शिक्षाएं आज भी भारत के सामाजिक ताने-बाने को दिशा देने वाली प्रकाशस्तंभ बनी हुई हैं।
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