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Wednesday, November 27, 2024
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राहुल गांधी अभी परिपक्व नहीं हैं; प्रणब मुखर्जी की बेटी की किताब ने हलचल मचा दी​!

उनकी बेटी ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी की राय थी कि राहुल गांधी एक अपरिपक्व राजनेता हैं।साथ ही राहुल गांधी का कार्यालय AM और PM के बीच अंतर नहीं समझ सकता​|​ वह पीएमओ क्या संभालेगा? इस किताब में दावा किया गया है कि प्रणवदा ने ऐसा सवाल पूछा था​|​ इससे राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया है​|​

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पूर्व राष्ट्रपति और दिग्गज कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी की बेटी की किताब ने हलचल मचा दी है। इस पुस्तक में प्रणब मुखर्जी के विचार, रुख और टिप्पणियाँ प्रस्तुत की गई हैं। इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बारे में प्रणब मुखर्जी की राय भी पेश की गई है|उनकी बेटी ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी की राय थी कि राहुल गांधी एक अपरिपक्व राजनेता हैं।साथ ही राहुल गांधी का कार्यालय AM और PM के बीच अंतर नहीं समझ सकता|वह पीएमओ क्या संभालेगा? इस किताब में दावा किया गया है कि प्रणवदा ने ऐसा सवाल पूछा था|इससे राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया है|

इस किताब का नाम ‘प्रणव, माई फादर: यह किताब प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने लिखी है। ए डॉटर रिमेम्बर्स’ है। इस किताब में राहुल गांधी के विचारों और उनके नेतृत्व कौशल पर टिप्पणी की गई है|राहुल गांधी विनम्र हैं​, लेकिन उनके पास कई सवाल हैं|मेरे पिता ने एक बार मुझसे कहा था कि वे अभी राजनीतिक रूप से परिपक्व नहीं हैं। इस किताब में राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का भी एक किस्सा बताया गया है|

पीएमओ को कैसे मैनेज करें: एक सुबह राहुल गांधी मेरे पिता से मिलने आए। मेरे पिता हर सुबह मुगल गार्डन में टहलने जाते थे। वे नहीं चाहते थे कि सुबह की सैर और पूजा के दौरान कोई उन्हें परेशान करे। फिर भी उन्होंने राहुल गांधी से मिलने का फैसला किया| जानकारी मिली तो समझ आया कि राहुल गांधी शाम को मिलने आएंगे|

लेकिन राहुल गांधी के कार्यालय ने उन्हें गलत बताया कि बैठक सुबह की थी|मुझे इस घटना के बारे में एक एडीसी के माध्यम से पता चला। मैंने अपने पिता से इसके बारे में पूछा|तभी उन्होंने व्यंग्यात्मक टिप्पणी कर दी|शर्मिष्ठा ने इस किताब में लिखा है कि अगर राहुल गांधी का कार्यालय AM और PM के बीच अंतर नहीं समझता है, तो एक दिन वह PMO को कैसे संभालेंगे?

दूसरे विषय पर आगे बढ़ते हुए: पुस्तक में प्रणब मुखर्जी की डायरी से कुछ जानकारी भी शामिल है। किताब में इस बात का भी जिक्र है कि राहुल गांधी को प्रणब मुखर्जी ने सरकार में प्रत्यक्ष अनुभव हासिल करने के लिए कैबिनेट में शामिल होने की सलाह दी थी|इस किताब में राहुल गांधी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं लिखा गया है|25 मार्च 2013 के दौरे का एक किस्सा दिया गया है।

राहुल गांधी के बारे में बोलते हुए प्रणब मुखर्जी ने अपनी राय रखी|राहुल गांधी विनम्र हैं|उनकी विभिन्न विषयों में रुचि है। लेकिन वे एक विषय से दूसरे विषय की ओर तेजी से बढ़ते हैं। वे कितना सुनते और आत्मसात करते हैं। शर्मिष्ठा ने लिखा कि प्रणवदा ने कहा कि वे अभी राजनीतिक रूप से परिपक्व नहीं हुए हैं|

प्रधानमंत्री बनना चाहते थे: शर्मिष्ठा ने इस किताब में एक घटना का भी जिक्र किया है। इसने राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता और प्रधानमंत्री पद संभालने की क्षमता पर भी सवाल उठाया है|  साथ ही इस किताब में पिता के साथ की यादों को भी उजागर किया गया है| इसके अलावा प्रणवदा प्रधानमंत्री बनना चाहते थे| यह भी कहा गया है कि उन्होंने ऐसी इच्छा जाहिर की थी|
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