सोमवार को बजट सत्र के दरम्यान राजस्थान की विधनसभा में जबरन धर्मांतरण के विरुद्ध एक विधेयक प्रस्तावित किया गया। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इसे पेश किया है। इसे ‘राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेद विधेयक 2025‘ कहा गया है। साथ ही प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, जो भी व्यक्ति जबरन धर्म परिवर्तन का दोषी पाया जाएगा, उसे 2 से 10 साल की जेल की सजा होगी।
प्रस्तावित बिल राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं को पर नकेल कसने के उद्देश्य से लाया गया है। विधेयक के अनुसार, जो भी व्यक्ति जबरन धर्म परिवर्तन का दोषी पाए जाने पर 2 से 10 साल की जेल की सजा होगी। साथ ही, महिलाओं, नाबालिगों और अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के जबरन धर्म परिवर्तन करने में दोषियों पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन के मामले में 50,000 रुपये का जुर्माना और 3 से 10 साल की कैद होगी।
वहीं विधेयक के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को अपना धर्म अपनी ईच्छा से बदलना हो तो उसे से कम 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट के पास आवेदन करना होगा। मजिस्ट्रेट तब यह आकलन करेगा कि धर्म परिवर्तन जबरन किया गया है या स्वैच्छिक। यदि अधिकारियों को लगता है कि धर्म परिवर्तन के दौरान कोई जबरदस्ती नहीं की गई है, तो धर्म परिवर्तन को मंजूरी दी जाएगी।
कांग्रेस पार्टी ने इस विधेयक का विरोध कर दावा किया है की कांग्रेस के शासनकाल में पेश किए गए विधेयक को पेश करके दिखावा किया जा रहा है। दरम्यान कांग्रेस नेता रफीक खान ने कहा, “धर्मांतरण विरोधी विधेयक पहले से ही मौजूद था और पिछली कांग्रेस सरकार ने इस पर पहले ही प्रतिक्रिया दे दी थी। अब यह विधेयक दिखावा के तौर पर लाया जा रहा है। जो लोग ‘राजस्थान महिलाओं का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा’ कहकर सत्ता में आए थे, वे इस विषय पर बात नहीं करते।”
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रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान सरकार ने वसुंधरा राजे के शासनकाल में 2006 में धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित करने की मांग की थी। हालांकि, तत्कालीन राज्य के राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी न मिलने के कारण यह विधेयक कानून नहीं बन पाया।
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