बीते दिनों देश में हुए 15 राज्यों के लिए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग ने विरोधी पार्टियों की गणित को पूरी तरह से धराशायी कर दिया| वही भाजपा ने अपने उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने में सफल हुई है|क्रास वोटिंग का आलम यह रहा कि हिमाचल प्रदेश में पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी 25 विधायकों वाली भाजपा ने राज्यसभा सीट जीत दर्ज की है|
गौरतलब है कि तीन राज्यों की 15 राज्यसभा सीटों के मतदान हिमाचल प्रदेश भी शामिल हैं। प्रदेश की मात्र एक सीट के लिए दो उम्मीदवार थे। कांग्रेस से अभिषेक मनु सिंघवी तो भाजपा से हर्ष महाजन नामांकन भरा था। दोनों उम्मीदवारों के नामांकन के साथ ही साथ प्रदेश में क्रॉस वोटिंग की उम्मीद लगाई जा रही थी,जो परिणाम आने के बाद सच भी साबित हुई|
बता दें वर्ष 2022 में हुए एमएलसी चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में भी कुछ हिमाचल की तरह महाराष्ट्र में हुई थी। वही, जून 2022 में महाराष्ट्र में एमएलसी की 10 सीटों पर चुनाव हुए। इसके लिए 11 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (मविआ) यानी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन ने छह उम्मीदवार उतारे थे तो भाजपा ने अपने 5 उम्मीदवार खड़े किये थे। मजे की बात यह कि शिवसेना गठबंधन के पास सभी 6 उम्मीदवारों को एमएलसी बनाने के लिए पर्याप्त संख्या थी, लेकिन वह एक सीट हार गई। नतीजा 5 में कांग्रेस को एक सीट मिली और एनसीपी-शिवसेना के केवल दो-दो सीटें ही मिली|
इस चुनाव में भाजपा के पास विधायकों की संख्या कम होने के बाद भी वह अपने पांचों एमएलसियों की सीट जीतने में सफल रही| इस दौरान बड़े पैमाने पर क्रास वोटिंग हुई थी| इसी के बाद राज्य में कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना विधायकों का एक बड़ा धड़ा गुजरात और फिर असम चले गए| राज्य में तेजी से बदलती सियासी घटनाक्रमों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा| अंत में बागी विधायकों और भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए| अब प्रश्न उठता है कि क्या हिमाचल में कांग्रेस के बागी विधायकों के तेवर एक बार फिर महाराष्ट्र की सियासत की पुनरावृत्ति कराएगी|
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