उत्तर प्रदेश के राजनीति में हलचल तेज हो गई है। बिहार में शुरू हुआ रामचरित मानस विवाद अब चरम पर पहुँच गया है। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस मामले पर विवादित टिप्पणी की थी। जिसमें बाद से मौर्य पार्टी में ही घिर गए थे। लेकिन अखिलेश यादव ने इस रामचरित मानस पर ही राजनीति करने का प्लान बनाया और मौर्य का कद पार्टी में बड़ा दिया। उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। लेकिन अखिलेश यादव ने मौर्य के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली सपा नेता ऋचा सिंह और रोली तिवारी को पार्टी से निकाल दिया है। एक तरह से कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी पार्टी के रुख साफ़ कर चुके हैं।
माना जा रहा है कि अखिलेश यादव सपा नेता ऋचा सिंह और रोली तिवारी को पार्टी से निकालने के बाद शूद्र की राजनीति को धार देने में लगे हुए हैं। इस बीच में आने वाले किसी भी नेता को किनारे लगाने से नहीं चूकेंगे। बताया जा रहा है कि सपा नेता ऋचा सिंह और रोली तिवारी मौर्य के बयान को लेकर उन पर हमलावर थी। इस मामले को लेकर वे लगातार सोशल मीडिया पर मौर्य के खिलाफ लिख रही थीं। जिससे पार्टी तिलमिलाई हुई थी। इस तरह से मौर्य पर लगातार हमले से नाराज होकर अखिलेश यादव ने सपा नेता ऋचा सिंह और रोली तिवारी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
बता दें कि रामचरित मानस पर मौर्य के विवादित बयान से पार्टी में ही दरार पड़ गई है। सपा की सवर्ण लॉबी मौर्य पर हमलावार है। जबकि,सपा के पिछड़ा और दलित वर्ग के नेता उनके समर्थन में हैं। इससे इससे माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने सपा नेता ऋचा सिंह और रोली तिवारी को पार्टी से निकालकर सवर्ण नेताओं को यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी के लाइन पर रहो वरना आप पर भी कार्रवाई हो सकती है।
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